उत्तराखंड के जनपद उधम सिंह नगर में प्रेम प्रसंग के चलते एक युवक की हत्या के मामले में द्वितीय अपर एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने एक महिला समेत दो लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। दोषियों पर 20-20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। जुर्माना जमा नहीं करने पर छह-छह महीने का कठोर कारावास भुगतना होगा।
ग्राम बड़ी बांसखेड़ी निवासी बूटा सिंह पुत्र जगतार सिंह ने दो जुलाई 2020 को आईटीआई थाने में केस दर्ज कराया था कि उसका भतीजा कुलदीप सिंह निवासी बड़ी बांसखेड़ी 29 जून 2020 को देर शाम करीब नौ बजे खाना खाकर घर के बाहर सड़क पर टहल रहा था। काफी देर तक जब वह घर नहीं लौटा और उसका मोबाइल स्विच ऑफ आया। 30 जून को पैगा पुलिस चौकी में गुमशुदगी दर्ज कराई गई। दो जुलाई 2020 को बलजीत सिंह के खेत के पास नाले में कुलदीप सिंह का शव पड़ा मिला। बूटा सिंह के मुताबिक कुलदीप सिंह का गांव निवासी सुखविंदर कौर उर्फ बबली के साथ प्रेम प्रसंग चल रहा था।
इसी दौरान सुखविंदर कौर के पड़ोस में रहने वाला अली हुसैन ग्राम प्रधान राजेंद्र सिंह के घर आया और उसने प्रधान व गांव के बूटा सिंह, जुगराज सिंह, गुरमीत सिंह, किशन सिंह, जोगा सिंह के सामने सुखविंदर कौर से कहा कि कुलदीप तुझे गांव में बदनाम कर देगा क्योंकि वह शादी से इन्कार कर रहा है।तब हम लोगों ने उसे रास्ते से हटाने की योजना बनाई और कुलदीप को जहर देने के बाद गला घोंट कर उसकी हत्या कर दी। बाद में शव को घसीटकर नाले में झाड़ियों में फेंक दिया था। पुलिस ने तहरीर के आधार पर हत्यारोपी अली हुसैन और सुखविंदर कौर के खिलाफ विभिन्न धाराओं में केस दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया।
दूध में मिलाया था कीटनाशक
नाले से कुलदीप का शव मिलने के बाद ग्रामीणों ने आरोपी सुखविंदर कौर से सख्ती से पूछताछ की तो उसने अपने प्रेमी के साथ मिलकर हत्या का जुर्म कबूला था। उसने बताया था कि बीते कुछ समय से उसकी पड़ोस में रहने वाले अली से नजदीकियां बढ़ गईं। नए प्रेमी के उकसाने में पर उसने साजिश के तहत कुलदीप को मिलने के बहाने बाग में बुलाया और कीटनाशक मिला दूध पीने को दिया। थोड़ा पीने के बाद कुलदीप ने शेष दूध फेंक दिया। उसके बेहोश होने पर अली ने गला दबाकर उसकी हत्या की। फिर दोनों ने शव नाले में फेंक दिया।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट काशीपुर ने मामले का संज्ञान लेने के बाद मामले को सेशन कोर्ट को सौंप दिया। 20 फरवरी 2021 को अभियुक्तों ने लगाए गए आरोपों को निराधार बताया और विवेचना की मांग की। मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष के सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता रतन सिंह कांबोज ने पैरवी की। द्वितीय अपर एवं सत्र न्यायाधीश रीतेश कुमार श्रीवास्तव की अदालत में सुनवाई के दौरान 13 गवाहों के साथ ही अन्य साक्ष्य प्रस्तुत किए। अदालत ने गवाहों के बयान व साक्ष्यों के आधार पर अली हुसैन और सुखविंदर कौर उर्फ बबली को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। दोनों पर धारा 328 व 201 के आरोप भी सिद्ध हुए हैं।
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