बिहार में ऑपरेशन लोटस की धमक,NDA को बंपर बढ़त_BJP अकेले नेतृत्व के करीब!

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बिहार में ऑपरेशन लोटस,,NDA को बम्पर बढ़त_अब नए समीकरण से सरकार..

बिहार की 243 विधानसभा सीटों की मतगणना जारी है। चुनाव के नतीजों की तस्वीर साफ होती दिख रही है। चुनाव आयोग के रुझानों के अनुसार, भाजपा 92, जदयू 82, लोजपा 21, HAMS 5 पर आगे चल रही है। माना जा रहा है कि 4 बजे तक तक बिहार में नई सरकार की तस्वीर कुछ साफ होती दिखने लगेंगी।

बिहार विधानसभा चुनाव के अब तक के रुझानों के अनुसार, राज्य में नई राजनीतिक हलचल देखने को मिल रही है। बिहार में पहली बार ऐसा लग रहा है कि बीजेपी के नेतृत्व में सरकार बन सकती है, बिना नीतीश कुमार के। पिछले कई वर्षों से नीतीश कुमार की अगुवाई में एनडीए सरकार चल रही थी, लेकिन इस बार आंकड़े कुछ और ही संकेत दे रहे हैं। अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या यह समीकरण बीजेपी के मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ कर सकता है?

BJP के पास बहुमत के लिए 4 सीटों की कमी

दोपहर 1 बजे तक के चुनाव रुझानों के अनुसार, एनडीए गठबंधन में बीजेपी 90 सीटों पर आगे चल रही है। इसके साथ ही जेडीयू 79 सीटों, चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी (आर) 20 सीटों, मांझी की पार्टी HAM 4 सीटों, और कुशवाहा की पार्टी RLM 4 सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं। अगर इन आंकड़ों को जोड़ें तो एनडीए के पास कुल 118 सीटें हो रही हैं। हालांकि, बिहार में सरकार बनाने के लिए 122 सीटों का बहुमत चाहिए, ऐसे में बीजेपी को और 4 सीटों की जरूरत है।

BJP के पास बहुमत के लिए 4 सीटों की कमी

दोपहर 1 बजे तक के चुनाव रुझानों के अनुसार, एनडीए गठबंधन में बीजेपी 90 सीटों पर आगे चल रही है। इसके साथ ही जेडीयू 79 सीटों, चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी (आर) 20 सीटों, मांझी की पार्टी HAM 4 सीटों, और कुशवाहा की पार्टी RLM 4 सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं। अगर इन आंकड़ों को जोड़ें तो एनडीए के पास कुल 118 सीटें हो रही हैं। हालांकि, बिहार में सरकार बनाने के लिए 122 सीटों का बहुमत चाहिए, ऐसे में बीजेपी को और 4 सीटों की जरूरत है।

“बीजेपी के लिए अब अपना मुख्यमंत्री बनाने का रास्ता साफ हो रहा है। अगर वह चाहती है, तो कुछ ही विधायकों को जोड़कर सरकार बना सकती है। अगर बीजेपी ऐसा नहीं करती, तो यह सिर्फ गठबंधन धर्म निभाने के लिए होगा। चुनाव परिणामों के बाद यह साफ हो रहा है कि बीजेपी अब सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी है, जबकि नीतीश कुमार को थोड़ा पीछे होते देखा जा रहा है। 2020 में जेडीयू भले ही मुख्य पार्टी बनी थी, लेकिन इस बार बीजेपी ने सबसे ज्यादा सीटों पर कब्जा किया है।


गठबंधन धर्म या नई सियासी राह
दिलचस्प बात यह है कि जून 2025 में गृह मंत्री अमित शाह ने एक इंटरव्यू में कहा था कि “बिहार का मुख्यमंत्री कौन होगा, यह वक्त तय करेगा, लेकिन हम नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ेंगे।” हालांकि, अक्टूबर में एक अन्य इंटरव्यू में शाह ने कहा था, “चुनाव के बाद सभी सहयोगी मिलकर विधायक दल का नेता चुनेंगे।”

जब विवाद बढ़ा, तो शाह ने फिर से स्पष्ट किया कि “नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री होंगे और चुनाव जीतने के बाद भी वही रहेंगे।लेकिन अब तक के रुझान यह संकेत दे रहे हैं कि बीजेपी के पास मुख्यमंत्री पद पर अपना दावा पेश करने का मजबूत आधार हो सकता है। यह देखना अब दिलचस्प होगा कि बीजेपी इस मौके का फायदा उठाती है या फिर गठबंधन धर्म को निभाते हुए नीतीश कुमार को ही मुख्यमंत्री बनाए रखती है।

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