सुप्रीम कोर्ट ने आज़म खान को दी अंतरिम ज़मानत, जेल से होंगे बाहर ..

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समाजवादी पार्टी के कद्दावर लीडर आज़म खान को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी है. इससे 2 साल से जेल में बंद आज़म के बाहर आने का रास्ता साफ हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा आज़म खान अपने खिलाफ लंबित मामले में निचली अदालत में 2 हफ्ते में नियमित ज़मानत अर्ज़ी दाखिल करें. नियमित ज़मानत मिलने तक अंतरिम ज़मानत जारी रहेगी. 


सुप्रीम कोर्ट ने की थी ये टिप्पणी


पिछले हफ्ते कोर्ट ने कहा था कि आजम को एक मामले में बेल मिलते ही नया केस दर्ज हो जाता है. इसके जवाब में यूपी सरकार ने कहा था कि आज़म खान आदतन अपराधी और भू माफिया है. आज़म के वकील कपिल सिब्बल ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि इस तरह किसी को लगातार जेल में रखना क्रूरता है. सुप्रीम कोर्ट उनके मुवक्किल को अंतरिम जमानत दे.

सुप्रीम कोर्ट ने आज़म खान को अंतरिम जमानत देने के लिए संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत मिली विशेष शक्ति का इस्तेमाल किया है. जस्टिस एल नागेश्वर राव, बी आर गवई और ए एस बोपन्ना की बेंच ने इसे अपनी विशेष शक्ति के इस्तेमाल के लिए उपयुक्त केस कहा है.

क्या है पूरा मामला?


जेल में रहते हुए यूपी के रामपुर से विधायक चुने गए आजम खान फरवरी, 2020 से जेल में बंद है. उनके ऊपर लगभग 90 आपराधिक केस है. यह केस यूपी पुलिस के अलावा केंद्रीय एजेंसियों ने भी दर्ज किए हैं. उनकी याचिका में बताया गया था कि 86 मामलों में उन्हें जमानत मिल गई है. लेकिन हाई कोर्ट ने पिछले साल दिसंबर से एक मामले में जमानत पर आदेश सुरक्षित रखा हुआ है. कई बार आवेदन देने के बावजूद आदेश नहीं दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने 5 महीने से जमानत पर आदेश न आने को न्यायिक प्रक्रिया का मज़ाक बताया था. आखिरकार, 10 मई को हाई कोर्ट ने ज़मानत के लिए बचे आखिरी मामले में भी आज़म को अर्ज़ी स्वीकार कर ली. यह मामला ‘शत्रु संपत्ति’ पर अवैध कब्जे का था.


ज़मानत के बाद भी नहीं मिली थी राहत


आज़म की रिहाई से पहले ही एक नए मामले का वारंट सीतापुर जेल पहुंच गया. यह मामला फ़र्ज़ी दस्तावेजों के ज़रिए 3 स्कूलों को मान्यता दिलवाने से जुड़ा है. इसके चलते अब इस मामले में भी ज़मानत लेना आज़म के लिए ज़रूरी हो गया है. 11 मई को हुई सुनवाई में इसकी जानकारी मिलने पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार की मंशा पर सवाल उठाया था. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एल नागेश्वर राव और बी आर गवई की बेंच ने कहा था, “किसी पर 1-2 मुकदमे दर्ज हों, तो इसे समझा जा सकता है. लेकिन यहां एक के बाद एक 89 केस दर्ज किए गए हैं. इसके चलते वह व्यक्ति 2 साल से जेल में है.”

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