दरकते जोशीमठ की जांच कमेटी ने सौंपी रिपोर्ट, आज गृह मंत्रालय और NDMA की टीम करेगी दौरा

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उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन धंसने की घटनाओं के बीच चमोली जिला प्रशासन अलर्ट हो गया है और पूरी तैयारी में लगा हुआ है. इस संकट को लेकर रविवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने जहां सीएम पुष्कर सिंह धामी से बात की तो वहीं अब प्रशासन ने भी बड़ा कदम उठाया है. सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यहां निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी गई है. प्रशासन विस्थापितों की मदद करने में लगा हुआ है. भारत सरकार की टीम भी जोशीमठ जा रही है. कल भी अधिकारियों ने घटनास्थल का दौरा कर हालात का जायजा लिया. अभी तात्कालिक उपाय अपनाए जा रहे हैं और आगे क्या करना है इस बारे में बैठकें कर फैसले लिए जा रहे हैं.

चमोली के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने बताया, जोशीमठ नगर पालिका और आसपास के क्षेत्र में सभी निर्माण कार्य पर अग्रिम आदेश तक रोक लगाई गई है. जो भी लोग अस्थाई रूप से विस्थापित हुए हैं उनको राहत सामग्री दी जा रही है. हमारे अधिकारी लोगों से लगातार मिल रहे हैं और उनकी परेशानियों का दूर करने में लगे हैं. आपदा प्रबंधन विभाग ने अधिसूचना जारी की है जिसमें जोशीमठ नगर पालिका क्षेत्र को आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत आपदा प्रभावित क्षेत्र घोषित किया है. भारत सरकार की तरफ से जल शक्ति मंत्रालय की हाई लेवल टीम और गृह मंत्रालय से सीमा प्रबंधन के सचिव की टीम जोशीमठ आ रही है. 

उत्तराखंड के ऐतिहासिक शहर जोशीमठ में जमीन धंसने और घरों में दरारें पड़ने की घटनाओं की जांच को लेकर उत्तराखंड सरकार ने 8 सदस्यीय कमेटी बनाई थी. रविवार (8 जनवरी) को इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रभावित लोगों को तुरंत विस्थापित किया जाए और छतिग्रस्त इमारतों को गिराकर उनका मलबा मौके से हटवाया जाए.

जोशीमठ संकट पर 8 सदस्यीय कमेटी की रिपोर्ट की अहम बातें- 

जेपी कॉलोनी से मारवाड़ी ब्रिज तक सैंपल इकट्ठे किये गए क्योंकि यहीं तक पानी का फ्लो था. इसकी वजह से जमीन के अंदर खाली जगह बनी, जिसकी वजह से धंसाव हो रहा है. इससे कुछ जगह क्रैक हुआ है और कुछ क्रैक एक मीटर तक गहरे हैं.

जमीन कुछ जगह समतल नहीं रह गई है, जिसकी वजह से दीवारों और भवनों की नींव कमजोर हो गई है. इसकी वजह से भवनों और मैदानों में दरारें देखी जा रही हैं.

अगस्त 2022 की तुलना में सर्वे में पाया गया कि नए और ज़्यादा नुकसान सुनील, मनोहरबाग, सिंहधार और मारवाड़ी में देखे गए हैं.

सर्वे टीम ने रविग्राम, गांधीनगर, एनटीपीसी और एटी नाला और कैसे कुछ जगहों पर दौरा किया. ये पाया गया कि अगस्त 2022 से ज़्यादा दरारें नहीं आयी हैं.

विष्णुगाड एनटीपीसी हाइड्रो प्रोजेक्ट पर भी दौरा कर सर्वे किया गया है. ये समझने के लिए कि क्या टनल की भी कोई भूमिका इस दरारों के पीछे है. एनटीपीसी की टीम से भी इस बाबत बात की.

अलकनन्दा नदी के कटाव का भी निरीक्षण किया गया. ये तय किया गया है कि विष्णुप्रयाग और मारवाड़ी के बीच एक अर्ध चंद्रकार दीवार बनाई जाएगी जो दाईं तरफ सुनील से शुरू होकर रविग्राम से होते हुए एटी नाला से बायीं तरफ सिंघधार, मारवाड़ी तक जाएगी. 

सर्वे में पाया गया कि अगस्त 2022 की रिपोर्ट को लागू किया जाना चाहिए. जिन घरों में बहुत ज़्यादा नुकसान है, उनको ध्वस्त कर उसके मलबे को हटाया जाना चाहिए. वे इलाके जिनमें रिहाइश मुमकिन नहीं, उन्हें चिन्हित करना चाहिए. जो लोग खतरे की जद पर बैठे हैं, उन्हें तत्काल वहां से विस्थापित करना चाहिए।

इलाके में मिट्टी की जांच कराई जानी चाहिए. साथ ही जियो फिजिकल जांच भी होनी चाहिए. भूकम्प की भविष्यवाणी के लिए भी तैयारी करनी चाहिए. पानी के बहाव को ऊपर से लेकर नीचे के बहाव तक जांचा जाना चाहिए. मूवमेंट की रियल टाइम जांच होनी चाहिए. 

उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन धंसने और कई घरों में दरारें पड़ने की घटनाओं को लेकर रविवार (8 जनवरी) को काफी हलचल रही. इस संकट को लेकर बैठकें हुईं और कई अधिकारियों ने जमीनी स्थिति का जायजा लेने के लिए इलाके का दौरा किया. पीएम मोदी (PM Modi) ने भी उत्तराखंड के सीएम से बात कर मदद का आश्वासन दिया. जानिए मामले से जुड़ी बड़ी बातें. 

सीमा प्रबंधन और एनडीएमए के सदस्य लेंगे हालात का जायजा
प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव, पीके मिश्रा और कैबिनेट सचिव राजीव गौबा द्वारा आयोजित बैठक में यह निर्णय लिया गया कि गृह मंत्रालय सचिव, सीमा प्रबंधन और एनडीएमए के सदस्य उत्तराखंड में स्थिति का आकलन करने के लिए जाएंगे. पीएमओ ने आगे निर्देश दिया कि एनडीएमए, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, आईआईटी रुड़की, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी और सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञों की टीमों को स्थिति का अध्ययन करना चाहिए और मामले पर तुरंत अपनी सिफारिशें देनी चाहिए.

केंद्रीय गृह मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सदस्य सोमवार को उत्तराखंड के जोशीमठ शहर का दौरा करेंगे और वहां जमीन धंसने की बढ़ती चिंताओं के बीच स्थिति का जायजा लेंगे. यह फैसला प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) द्वारा रविवार को जोशीमठ में लोगों द्वारा झेली जा रही भूमि धंसाव की समस्या को लेकर की गई समीक्षा बैठक के बाद लिया गया, भूमि धंसाव से शहर के ढहने की आशंका बढ़ गई है.

एसडीआरएफ की चार टीमें पहले ही पहुंच चुकी हैं जोशीमठ
सूत्रों ने कहा कि उत्तराखंड के मुख्य सचिव ने जोशीमठ से पीएमओ को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जानकारी दी. बैठक में बताया गया कि एनडीआरएफ की एक टीम और एसडीआरएफ की चार टीमें पहले ही जोशीमठ पहुंच चुकी हैं और प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से बात की और राहत और पुनर्वास कार्य में हरसंभव मदद की पेशकश की.

पूर्व CM हरीश रावत ने किया जोशीमठ का दौरा, कहा ‘हम इस चुनौती में सरकार और मुख्यमंत्री के साथ’

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल रविवार को जोशीमठ के प्रभावित क्षेत्र पहुंचे, जहां उन्होंने प्रभावित लोगों से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि जोशीमठ के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. लोगों का जीवन और आजीविका संकट में है. ऐसे वक्त में कांग्रेस प्रभावितों के साथ खड़ी है. ‘हम सरकार के साथ हैं और जोशीमठ को बचाना राष्ट्रीय मिशन होना चाहिए.’

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा, “हम इस चुनौती में सरकार और मुख्यमंत्री के साथ हैं. इसमें थोड़ी देर हुई है, लेकिन अगर हम तत्परता से काम करते हैं और केंद्र अपनी पूरी ताकत लगाता है तो जोशीमठ को बचाया जा सकता है. जोशीमठ को बचाना राष्ट्रीय मिशन होना चाहिए. यदि विशेषज्ञ कहते हैं कि सुरंग या अन्य कारक अपराधी हैं, तो उन सभी को रोका जाना चाहिए और चीजों को नए सिरे से उठाया जाना चाहिए. स्थानीय लोगों की समिति बनाई जानी चाहिए और सभी के साथ निरंतर परामर्श से सुधार किया जाना चाहिए.”

राहुल गांधी ने भी जोशीमठ को लेकर जाहिर की चिंता
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भी जोशीमठ को लेकर चिंता जाहिर की है. उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार से प्रभावितों को हर संभव मदद करने की मांग है. साथ ही क्षेत्रीय कांग्रेस कार्यकर्ताओं से प्रभावितों की मदद करने की अपील की है.

मेहनत से बनाए घरों से ही हो रहे बेघर! दरारों का दर्द बयां कर छलके जोशीमठ में रह रहे लोगों के आंसू

जोशीमठ में स्थिति भयावह होती जा रही है. 1-2 इंच की दरारें अब विकराल रूप लेते हुए 8 से 9 इंच की हो गई हैं. दशकों से यहां रह रहे लोग पलायन करने को मजबूर हैं. इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी लोगों को हर मदद का आश्वासन दिया है. जोशीमठ के मनोहर बाग इलाके में रहने वालीं 60 वर्षीय उषा ने ज्योतिर्मठ परिसर के अंदर एक मंदिर में आई दरारों की ओर इशारा करते हुए कहा कि वह लगातार अपनी पहचान खोने की कगार पर हैं.

उषा ने बताया कि लगभग एक हफ्ते पहले जब से उनके घर में दरारें आनी शुरू हुईं तब से वह दोपहर के समय बाहर ही बिता रही हैं. अब दरारें भी चौड़ी होने लगी हैं. उन्हें अब घर खाली करने के लिए मजबूर किया जाता है जिसे उन्हें सालों की मेहनत की कमाई से बनाया है. इन दरारों की बात करते हुए लोगों के आंसू भी छलक उठे.

जमीन धंसने से कई इमारतों में दरार

जोशीमठ के एक प्राइवेट स्कूल में शिक्षक और मनोहर बाग निवासी रजनी ने कहा कि वह इस डर में रह रहे हैं कि भविष्य में कुछ भी हो सकता है. जिस स्कूल में वह काम करती हैं वह भी अब गायब होने की कगार पर है. यहां जमीन धंसने के कारण कई इमारतों में दरारें पड़ गई हैं, जोकि पहले से ज्यादा विकराल रूप ले रही हैं. 

घरों को खाली करने का नोटिस 

खतरे को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने रविवार (8 जनवरी) को शहर के सभी 9 वार्डों को रहने के लिए असुरक्षित घोषित कर दिया. जिला प्रशासन की तरफ से घरों को खाली करने के लिए नोटिस जारी कर दिया गया है. लोगों ने अब उत्तराखंड सरकार की तरफ से दिए गए सुरक्षित स्थानों पर जाना शुरू कर दिया है.

600 से ज्यादा घरों में दरारें

अधिकारियों के अनुसार, जोशीमठ की लगभग 4500 इमारतों में से 600 से ज्यादा में दरारें आ गई हैं. मनोहर बाग के कई घरों पर प्रशासन ने रविवार को लाल पेंट से एक बड़ा एक्स चिन्ह बना दिया, जिसका मतलब था कि वे रहने के लिए असुरक्षित हैं. मनोहर बाग निवासी रजनी का कहना है कि वह और उनकी बच्चे इसे लेकर परेशान हैं. उनके यह चिंता सता रही है कि जिन जगहों पर उन्हें शिफ्ट किया जा रहा है अगर वहां भी दरारें पड़ गई तो वह कहां जाएंगे. 

60 परिवारों को किया गया शिफ्ट 

चमोली के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने बताया कि अब तक 60 परिवारों को शिफ्ट किया जा चुका है. इन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है. हिमांशु ने प्रभावित क्षेत्र में घर-घर जाकर नुकसान का आकलन किया था और दरार वाले घरों में रहने वाले लोगों से राहत केंद्रों में जाने की अपील की थी. उत्तराखंड मुख्य सचिव एसएस संधू, मुख्यमंत्री की सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम और पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने भी जोशीमठ कस्बे का निरीक्षण किया.

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