महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के राजभवन को अलविदा कह देहरादून आने की खबरों को उत्तराखंड की राजनीति में संभावित भूचाल के रूप में देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि गणतंत्र दिवस के बाद किसी भी दिन कोश्यारी अपने पद से इस्तीफा देकर देहरादून का आ सकते हैं। यहां ताज़ा प्राप्त हो रही जानकारी के मुताबिक आपको बताते चलें महाराष्ट्र में नए गवर्नर के तौर पर पंजाब के पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के नाम का जल्द हो सकता है ऐलान ।
इस खबर से उत्तराखंड में BJP ही नहीं विपक्षी नेताओं के भी कान खड़े हो गए हैं। बीते दिनों कोश्यारी अचानक देहरादून में कैबिनेट मंत्री की बेटी की शादी में पहुंचे थे। कम समय के लिए देहरादून पहुंचने के बावजूद वह बीमार चल रहे कैबिनेट मंत्री के घर गए और आंदोलनकारी सुशीला बलूनी को देखने भी अस्पताल गए। कोश्यारी के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी बलूनी को देखने अस्पताल पहुंचे।
कोश्यारी की महाराष्ट्र से विदाई और उत्तराखंड में आगमन ठीक ऐसे वक्त हो रहा है, जब राज्य में जोशीमठ की आपदा से हाहाकार मचा है। जोशीमठ के लोग सरकार की अनदेखी को इसके लिए जिम्मेदार मानते हुए तहसील पर आज भी धरने पर बैठे हुए हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं के लगातार पेपर लीक होने से राज्य भर के युवाओं में भारी नाराजगी है। विधानसभा में साल 2016 के बाद बैकडोर से भर्ती किए गए कर्मचारी अपनी बर्खास्तगी के खिलाफ धरना दे रहे हैं। युवाओं में सरकार को लेकर बेहद नाराजगी है।
क्यों है राज्य में दो पावर सेंटर बनने का अंदेशा
दरअसल उम्र के लिहाज से देखें तो कोश्यारी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बन पाएंगे इसमें संशय है। मगर, जो हालात हैं उनके चलते कोश्यारी सभी धड़ों में सामंजस्य बैठाते हुए पार्टी को लाभ पहुंचाने की स्थिति में जरूर हैं। सभी दावेदारों को भगत सिंह कोश्यारी सूट भी करते हैं। प्रधानमंत्री ने भी मुंबई में कहा था कि कोश्यारी को वे तब से जानते हैं, जब उत्तराखंड के पार्टी प्रभारी बने थे।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कोश्यारी के चेले ही माने जाते हैं। गुरु के आने पर राज्य में दो पावर सेंटर बनने की भी संभावना है। कोश्यारी के देहरादून पहुंचने के बाद उनकी क्या भूमिका होगी इसको लेकर कानाफूसी शुरू हो गई है।
असंतुष्टों की संख्या तेजी से बढ़ रही
दूसरी तरफ, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत गाहे बगाहे धामी पर शब्द बाण छोड़कर पार्टी को असहज करते रहते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने भी पिछले दिनों अपने मन की टीस निकाली थी। प्रदेश अध्यक्ष ने दिल्ली पहुंचकर केंद्रीय कमान के सामने उन्हें बैठाकर इस तरह के सार्वजनिक बयान देने से बचने को कहा।
आगामी लोकसभा चुनावों में ऐसी स्थितियों को BJP के लिए सहज नहीं माना जा रहा। धामी मंत्रिमंडल के कद्दावर मंत्री भी खुद की उपेक्षा को लेकर पार्टी फोरम पर बात रख रहे हैं। उनका कहना है कि ब्यूरोक्रेसी मंत्रियों को इस तरह से अनसुना करती है, मानो मुख्यमंत्री ने ही उन्हें ऐसा करने को कहा हो।
क्या है चर्चा
राज्यपाल पद त्यागने के बाद कोश्यारी के पैतृक गांव लौटने की चर्चा तेज है। बागेश्वर जिले में उनके पैतृक गांव नामती चेटाबगड़ की गुंठी तोक में दो कमरों का मकान भी तैयार कराया है।
सरकारी अमला भी उनके गांव तक सड़क पहुंचाने में जोरशोर से जुटा है। ऐसे में इन चर्चाओं को और बल मिल गया है। सोमवार को मीडिया में कोश्यारी के राज्यपाल पद छोड़ने की इच्छा जताने की खबरें आईं। इसके साथ ही उनकी आगे की योजनाओं को लेकर तमाम तरह की कयासबाजी शुरू हो गईं।
उनके करीबियों का कहना है आगे का समय कोश्यारी अपने गांव में अपने लोगों के बीच रहकर पठन-पाठन और लेखन में व्यतीत करना चाहते हैं। सांविधानिक प्रोटॉकॉल के चलते वह जिन स्वजनों से सहज नहीं मिल पाते थे, अब उनके साथ जीवन बिताएंगे। कोश्यारी के समर्थकों को उनकी जल्द वापसी की उम्मीद है।
राज्यपाल के करीबी कपकोट विधायक ने बताया कि कोश्यारी समाज में कुछ स्थानों पर आज भी व्याप्त छुआछूत से बेहद आहत हैं। इसे खत्म करने के लिए वह अभियान चलाने की इच्छा रखते हैं। जिस पर आगे चल कर समाज में कुरीतियों के ख़िलाफ़ कुछ अलग संदेश देने का एक नया मंच भी तैयार किया जा सकता है
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