सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को संभल की जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। अदालत ने चंदौसी कोर्ट द्वारा जामा मस्जिद के सर्वेक्षण और उसकी रिपोर्ट पर आगे की कार्रवाई पर रोक लगा दी। मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि चंदौसी कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश पर तब तक कोई कार्रवाई नहीं होगी, जब तक इलाहाबाद हाई कोर्ट इस मामले में निर्णय नहीं लेता।
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सुप्रीम कोर्ट ने संभल की जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर बड़ा आदेश शुक्रवार को दिया. अदालत ने चंदौसी कोर्ट द्वारा जामा मस्जिद के सर्वे और उसकी रिपोर्ट पर आगे कार्यवाही पर रोक लगा दी है. संभल जामा मस्जिद केस में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई हुई. मुस्लिम पक्ष ने चंदौसी की निचली अदालत के आनन-फानन में सर्वेक्षण के दिए आदेश पर सवाल उठाए. शीर्ष अदालत ने कहा कि सर्वे की जो रिपोर्ट अभी पेश की जानी है, अभी उस पर आगे कार्यवाही नहीं होगी।
इलाहाबाद हाीकोर्ट मुस्लिम पक्ष की याचिका पर जब तक कोई फैसला नहीं लेता, तब तक निचली अदालत कोई एक्शन नहीं लेगी. कोर्ट ने आगे सुनवाई की तारीख 8 जनवरी मुकर्रर की है. तब तक प्रशासन से शांति व्यवस्था बनाए रखने का आदेश यूपी सरकार को दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट सर्वे की रिपोर्ट पर अभी आगे कोई कार्रवाई नहीं करेगा
सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत की कार्रवाई पर रोक लगाई
शीर्ष अदात ने कहा कि जब तक हाई कोर्ट निचली अदालत के आदेश के खिलाफ मुस्लिम पक्ष की अर्जी पर सुनवाई कर कुछ फैसला नहीं लेता, तब तक निचली अदालत में सुनवाई नहीं होगी
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि प्रशासन शांति, व्यवस्था को कायम रखे
सीलबंद लिफाफे में जामा मस्जिद सर्वे की रिपोर्ट पेश की जाए
सीलबंद लिफाफे में दें रिपोर्ट
इससे पहले चंदौसी की कोर्ट में सर्वे रिपोर्ट पेश की जानी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई को देखते हुए इसे टाल दिया गया. एडवोकेट कमिश्नर ने कहा कि सर्वेक्षण कार्य पूरा हो गया है. 10 दिन के अंदर रिपोर्ट पेश की जाएगी. सर्वे रिपोर्ट पेश होगा और अगली सुनवाई 8 जनवरी को होगी।
जामा मस्जिद इंतेजामिया कमेटी की मांग
संभल जामा मस्जिद की इंतेजामिया कमेटी ने सर्वे पर सवाल उठाते हुए और इसे वर्शिप एक्ट के खिलाफ बताते हुए पूरी सर्वे प्रक्रिया को खारिज करने की मांग की थी. चंदौसी कोर्ट ने 19 नवंबर 2024 को सर्वे का आदेश दिया था. सुनवाई के बाद अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने अदालत के फैसले के बारे में बताते हुए कहा कि अभी कोर्ट ने केस की मेरिट पर कोई निर्णय नहीं दिया है. अदालत ने मुस्लिम पक्ष की इस याचिका पर हाईकोर्ट से सुनवाई करने को कहा है. जब तक उच्च न्यायालय कोई फैसला नहीं लेगा, तब आगे कोई कार्यवाही नहीं होगी. एडवोकेट कमिश्नर को सर्वे रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में देने को कहा गया है, यानी इसे सार्वजनिक नहीं किया जाएगा।
जामा मस्जिद संभल विवाद पर जमीअत उलमा-ए-हिंद अध्यक्ष का बयान
इससे पहले जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने कहा कि इतिहास के गड़े मुर्दे उखाड़ने से देश को गंभीर क्षति हो रही है. मौलाना मदनी ने कहा कि इतिहास के झूठ और सच को मिलाकर सांप्रदायिक तत्व देश की शांति और व्यवस्था के दुश्मन बने हुए हैं. पुराने गड़े मुर्दे उखाड़ने से देश की धर्मनिरपेक्ष बुनियादें हिल रही हैं. इतिहास को दोबारा लिखने की कोशिशें राष्ट्रीय अखंडता के लिए किसी भी तरह से अनुकूल नहीं हैं।
मौलाना मदनी ने आशा व्यक्त की मस्जिद इंतेजामिया कमेटी जामा मस्जिद की रक्षा के लिए हरसंभव प्रयास करेगी. उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि यदि आवश्यकता पड़ी, तो जमीअत-ए-उलमा हिंद कानूनी कार्रवाई में सहायता के लिए तैयार है. जमीयत उलमा ए हिंद के अध्यक्ष ने देश के सभी नागरिकों से कानून-व्यवस्था की स्थापना के लिए धैर्य और सहनशीलता बनाए रखने की बात कही. ऐसा कोई कदम न उठाएं जिससे सांप्रदायिक ताकतों की साजिशें कामयाब हों.मौलाना मदनी ने याद दिलाया कि देश ने बाबरी मस्जिद की शहादत सहन की है और उसके असर से आज भी जूझ रहा है. इसी को देखते हुए पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991 लागू किया गया था ताकि देश मस्जिद-मंदिर विवादों का केंद्र न बनने पाए. सुप्रीम कोर्ट ने भी बाबरी मस्जिद मामले में निर्णय सुनाते हुए इस कानून को अनिवार्य बताया था. मगर निचली अदालतें इसे नजरअंदाज कर फैसले दे रही हैं. हर दिन कहीं न कहीं मस्जिद का विवाद खड़ा किया जा रहा है. फिर अदालतों से सर्वे की मांग की जाती है. मदनी ने कहा कि हम अदालती फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन कोर्ट को फैसला लेते समय जरूर देखना चाहिए कि देश और समाज पर इसका क्या असर होगा।
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