लालकुआं के जंगलों में चल रही आरी_बेशकीमती लकड़ी से भरा वाहन पकड़ा गया, तस्कर फरार..

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नैनीताल : लालकुआँ जंगलों में अवैध रूप से लकड़ी तस्करी का कारोबार थमने का नाम नही ले रहा है।वन विभाग डाल डाल तो तस्कर पात पात साबित हो रहे है वही वन विभाग इस कारोबार को रोकने में पूरी तरह नाकाम साबित हो रहा है। जिसके चलते वन संपदा खतरे में पड़ी है।

यहाँ ताजा मामला तराई केन्द्रीय वन प्रभाग का है जहाँ वन विभाग की टीम के कर्मचारियों ने अवैध रूप से लकड़ियों से भरा छोटा हाथी वाहन को जब्त किया है। इस बीच मौके पाकर वाहन में सवार तस्कर फरार हो गए। वन क्षेत्राधिकारी के मुताबिक आरोपी लकड़ी तस्करों के विरुद्ध वन अधिनियम के तहत कार्यवाही की जा रही है।


बताते चले कि वार्ड नंबर एक से कुछ स्थानीय तस्कर टांडा जंगल से जलौनी लकड़ी के नाम पर इमारती व बेशकीमती लकड़ी काट कर अवैध रूप से छोटा हाथी में भरकर किच्छा हल्दूवानी की ओर ले जा रहे थे। इस दौरान बीती रात वन विभाग की टीम को मुखबिर से सूचना मिली कि छोटा हाथी वाहन संख्या UK06 CA 5989 से कुछ तस्कर अवैध रूप से लकड़ी ले जा रहे है जिसपर वन कर्मचारियों ने उक्त वाहन का पीछा कर उसे नगला वाईपास के पास पकड़ लिया।

लेकिन चालक व लकड़ी तस्कर अधेंरे का फायदा उठाकर गाड़ी से कूदकर फरार हो गए। वन कर्मियों ने उक्त वाहन को अपने कब्जे में लेकर उसे टाड़ा रेंज कार्यालय के परिसर में खड़ा कर सीज कर दिया है।


इधर वन क्षेत्राधिकारी रूपनारायण गौतम ने बताया कि पकड़े गए वाहन को सीज कर दिया गया है तथा फरार वन तस्करों पर वन अधिनियम के तहत कार्रवाई की जा रही है। साथी ही पकड़ी गई लकड़ी की कीमत 30 हजार रूपये से अधिक आंकी गई है। उन्होंने कहा कि तस्करों की तलाश जारी है तथा जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा।इधर पकड़ने वाली टीम में मुख्य रूप से वन दारोगा पान सिंह मेहता,वन दारोगा विशन राम,बीट अधिकारी राहुल कुमार,महिला कर्मी मनजिता चौहान सहित कई वनकर्मी मौजूद थे।


बता दें कि वार्ड नम्बर एक में जलौनी लकड़ी का अवैध कारोबार कुटीर उघोग के रूप में किया जा रहा है। यहा से प्रतिदिन हजारों कुंतल लकड़ी बाहर बेची जाती है। सूत्रों की माने तो लकड़ी तस्करों के उक्त खेल में वन कर्मियों की संलिप्तता भी है जिस कारण तस्कर खुलेआम लकड़ी तस्करी कर रहे है। फिलहाल जिस तरह से लकड़ी तस्करी हो रही है उसे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले दिनों में जंगलों में बेशकीमती पेड़ ढूढने से भी नही मिलेगें।

रिपोर्ट : मुकेश कुमार

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