उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हल्द्वानी में भू माफियाओं द्वारा रेलवे, वन विभाग और राजस्व की भूमि को एक सौ और पाँच सौ रुपये के स्टाम्प पर बेचने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को निर्देशित किया कि जो भी आरोप उन्होंने लगाए हैं उसके सबूत शपथपत्र के माध्यम से न्यायालय को दिखाएं। मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खण्डपीठ ने अगली सुनवाई 4 दिसम्बर को तय की है।
मामले के अनुसार हल्द्वानी निवासी हितेश पांडे ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि हल्द्वानी के गफूर बस्ती में रेलवे की भूमि, गौलापार, गौजाजाली स्थित वन विभाग वलौर राजस्व की भूमि को भू माफियाओं के द्वारा सौ और पाँच सौ रुपये के स्टाम्प पेपर पर बेच दिया गया है। जिन लोगों को यह भूमि बेची गयी वे लोग उत्तराखंड के स्थायी निवासी नहीं हैं और ये लोग रोजगार के लिए यहाँ आये थे। कुछ ही समय बाद सी.एस.सी.सेंटर में इनके वोटर आई.डी. तक बन गए।
जब इसकी शिकायत प्रसाशन, मुख्यमंत्री पोर्टल पर की गई तो याचिकाकर्ता को जान माल की धमकी तक भू माफियाओं ने दे डाली। याची ने कहा कि ये लोग उत्तराखंड के स्थायी निवासी नहीं हैं। राज्य सरकार ने वोट बैंक के लिए इन्हें बिजली, पानी, स्कूल और हॉस्पिटल के लिए करोड़ो रूपये का बजट दिया है।
इसका भार स्थायी लोगों पर पड़ रहा है जिसकी वजह से उन लोगों को सरकार की योजनाओं से वंचित रहना पड़ रहा है। जनहित याचिका में न्यायालय से प्रार्थना की गई है कि इस मामले की जाँच उच्च स्तरीय कमेटी से कराई जाय और इनके सभी दस्तावेजों की जाँच की जाय।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
लेटेस्ट न्यूज़ अपडेट पाने के लिए -
GKM News is a reliable digital medium of latest news updates of Uttarakhand. Contact us to broadcast your thoughts or a news from your area. Email: [email protected]