मां सोनिया से मिलकर फिर ED दफ्तर पहुंचे राहुल गांधी, ये कांग्रेसी दिग्गज अरेस्ट, जानिये क्यों हुई पेशी..
नेशनल हेराल्ड केस के मामले में राहुल गांधी से आज पूछताछ हो रही है. इसके लिए वह प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के दफ्तर पहुंचे हैं. उनके साथ कांग्रेस के हजारों कार्यकर्ताओं और नेताओं का हुजूम भी पहुंचा था. सभी को ईडी ऑफिस से करीब एक किलोमीटर पहले रोक लिया गया था.
कांग्रेस राहुल-सोनिया गांधी को मिले नोटिस का विरोध कर रही है. कांग्रेस ने आज किये जा रहे इस प्रदर्शन को ‘सत्याग्रह’ नाम दिया है.
सूत्रों के हवाले से खबर मिल रही है कि ईडी ने राहुल गांधी से पूछताछ में सवालों के पहले बंच में ईडी ने राहुल गांधी से पूछा कि आपके कितने बैंक अकाउंट हैं? किस-किस बैंक में अकाउंट हैं? क्या कोई बैंक अकाउंट विदेश में भी है? अगर है तो उसकी जानकारी दीजिए.. आपकी जायदाद कहां-कहां है? क्या विदेश में भी जायदाद हैं? अगर हां तो उनकी डिटेल दीजिए.
बैंक अकाउंट से जुड़े सवालों के जवाब नहीं दे पाए राहुल गांधी
नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी से ईडी एक घंटे से ज्यादा वक्त से पूछताछ कर रही है. सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी से पूछे गए बैक अकाउंट से संबंधित सवालों के वो जवाब नहीं दे सके हैं.
यंग इंडियन कंपनी बनाने का निर्णय किसका था?- ईडी का राहुल से सवाल
एक घंटे से ज्यादा वक्त से ईडी राहुल गांधी से पूछताछ कर रही है. सूत्रों से मिली ताजा जानकारी के मुताबिक, अब ईडी ने यंग इंडिया से जुड़े सवाल पूछना शुरू कर दिया है. ईडी ने राहुल से पूछा कि, यंग इंडियन कंपनी बनाने का निर्णय किसका था? क्या आप उस बैठक में शामिल थे अगर हां तो डिटेल दीजिए. उन्होंने राहुल से ये भी पूछा कि, आपने यंग इंडिया की शुरुआती कितनी बैठकों में भाग लिया?
ऐसे ही करीब 3 घंटे पूछताछ के बाद ईडी ऑफिस से निकले राहुल गांधी, पूछताछ का एक दौर खत्म
ईडी के सामने पेश हुए राहुल गांधी की पूछताछ के बीच का लंच ब्रेक का हुआ समय.
राहुल और प्रियंका गंगाराम अस्पताल पहुंचे
राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा गंगाराम अस्पताल पहुंचे हैं जहां कल से सोनिया गांधी भर्ती हैं. कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष को कोरोना से संबंधित समस्याओं के कारण गंगा राम अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उनकी हालत स्थिर है और उन्हें अस्पताल में निगरानी के लिए रखा जाएगा.
हॉस्पिटल में प्रियंका साथ पहुंचे राहुल गांधी ने डॉक्टरों से मां सोनिया के स्वास्थ्य को लेकर गहन चर्चा की जिसके बाद फिर से पूछताछ के लिए ED कार्यालय पहुंचे राहुल गांधी
कांग्रेस नेता राहुल गांधी फिर से पूछताछ के लिए ED कार्यालय पहुंचे हैं. इससे पहले तकरीबन तीन घंटे तक राहुल गांधी से पूछताछ चली थी.
लंच ब्रेक के बाद राहुल गांधी फिर सवालों का सामना करने के लिए ईडी दफ्तर पहुंच चुके हैं. उन्हें कुछ देर का लंच ब्रेक दिया गया था जिस समय में उन्होंने सोनिया गांधी से अस्पताल में मुलाकात की. अब फिर वे दफ्तर पहुंच गए हैं.
रणदीप सुरजेवाला समेत कई नेता हिरासत में
ईडी दफ्तर के बाहर प्रदर्शन कर रहे कांग्रेस कार्यकर्ता और नेता हिरासत में लिये जा चुके हैं. कांग्रेस नेता रजनी पाटिल, अखिलेश प्रसाद सिंह, एल हनुमंतैया और थिरुनावुक्करसर सु. को राहुल गांधी के समर्थन में प्रदर्शन के लिए मंदिर मार्ग पीएस में हिरासत में लिया गया. इससे पहले रणदीप सुरजेवाला, अधीर रंजन चौधरी, केसी वेणुगोपाल, दीपेंद्र सिंह हुड्डा, अशोक गहलोत आदि को भी हिरासत में लिया गया.
कांग्रेस बोली- मोदी सरकार डर गई
राहुल गांधी की ईडी के सामने पेशी से पहले कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इसमें रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस शांतिपूर्ण प्रदर्शन करेगी. उन्होंने कहा कि पुलिस की तैनाती से पता चलता है कि मोदी सरकार कांग्रेस से डर गई है.
सुरजेवाला ने आगे कहा कि राहुल गांधी के नेतृत्व में शांतिप्रिय व गांधीवादी तरीके से सत्याग्रह की मार्च तो निकलेगी ही. न इसे अंग्रेज दबा पाए और न ही उस समय अंग्रेजों के मुखबिर बने आज के सत्ताधारी हुक्मरान दबा पाएंगे. हम दृढ़ता से, शांतिप्रिय तरीके से बीजेपी के ‘इलेक्शन मैनेजमेंट डिपार्टमेंट’ के कार्यालय जाएंगे, तथा उनकी ‘झूठ की अदालत’ में सत्य पर आधारित हर सवाल का जवाब भी देंगे. यही हमारा संकल्प है, और यही गांधी का रास्ता.
सुरजेवाला ने कहा कि आज फिर एक गांधीवादी ‘सत्याग्रह’ का आगाज होगा. वह बोले कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को झुकाने के लिए पीएम मोदी पिछले 8 साल से एड़ी चोटी का जोर लगा रही है लेकिन राहुल गांधी और कांग्रेस का हर नेता व कार्यकर्ता देश के साधारण व्यक्ति, मध्यम वर्ग, गरीब और दलित की आवाज उठाने के अपने कर्तव्य पर अडिग हैं. हम लोकतंत्र के सिपाही हैं और संविधान के रखवाले. हम न डरेंगे और न झुकेंगे और हर भाजपाई हथकंडे को विफल करेंगे.
सुरजेवाला बोले कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 136 साल से इस देश के हर व्यक्ति की आवाज है. हम उस गांधी के वंशज हैं, जिन्होंने निहत्थे रहकर देश की जनता की ताकत के बल पर दुनिया की सबसे बड़ी तानाशाही ताकत को हिंदुस्तान छोड़कर भागने पर विवश कर दिया था.
उन्होंने कहा कि जब नेशनल हेराल्ड अखबार ( और उसकी मालिक 1937 में बनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड) पर कर्ज का गंभीर संकट आया, और समाचार पत्र को चलाने के लिए कठोर परिश्रम करने वाले कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल पा रहा था, तब कांग्रेस पार्टी ने साल 2002 से 2011 तक दस वर्षों में 90 करोड़ रुपया इस संस्थान को देकर देश की विरासत को बचाने का काम किया.
देश में एक बार फिर नेशनल हेराल्ड केस चर्चा में है. चर्चा की वजह है प्रवर्तन निदेशालय का कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी को भेजा गया समन. ऐसे में बड़ा सवाल है कि आखिर नेशनल हेराल्ड केस है क्या और इसमें कांग्रेस नेताओं के नाम कैसे आए…
ऐसे में बड़ा सवाल है कि आखिर नेशनल हेराल्ड केस है क्या, इसमें कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के नाम कैसे आए और अब तक इस मामले में क्या हुआ है, जानिए इन सवालों के जवाब
क्या है नेशनल हेराल्ड केस?
यह पूरा मामला नेशनल हेराल्ड नाम के अखबार से जुड़ा है, जो आजादी से पहले का अखबार रहा है. इस अखबार के प्रकाशन का जिम्मा प्रकाशन एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड नाम की कंपनी के पास था. इस अखबार की शुरुआत 1938 में देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने की थी. इनके अलावा करीब 5 हजार स्वतंत्रता सेनानी भी इसके शेयर होल्डर थे. प्रकाशन एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड इसके अलावा दो और दैनिक अखबार निकालती थी. हिन्दी के समाचार पत्र का नाम नवजीवन और उर्दू भाषा वाले अखबार का नाम कौमी आवाज था.
इस अखबर के जरिए स्वतंत्रता सेनानी अपनी आवाज को पुरजोर तरीके से उठाते थे, यही बात अंग्रेजों को नापसंद थी. इस तरह धीरे-धीरे यह अखबार स्वतंत्रता सेनानियों का मुखपत्र बन गया. ब्रिटिश सरकार के कामों की कड़ी समीक्षा और आलोचना करने वाला यह अखबार अंग्रेजों के आंखों की किरकरी बन गया. नतीजा, 1942 में अंग्रेजों ने नेशनल हेराल्ड अखबार को बैन कर दिया.
कांग्रेस की नीतियों को जनता तक पहुंचाने का जरिया बना
नेशनल हेराल्ड को 1945 में दोबारा शुरू किया गया. 1947 में आजादी मिलने के बाद जवाहर लाल नेहरू ने अखबार के बोर्ड अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद अखबार लगातार प्रकाशित किया गया और कांग्रेस की नीतियों को जनता तक पहुंचाने का जरिया बन गया.
असली दिक्कत यहां से शुरू हुई
1962-63 में दिल्ली-मथुरा रोड रोड के 5-A बहादुर शाह जफर मार्ग पर एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) को 0.3365 एकड़ जमीन आवंटित की गई. जमीन आवंटित करते हुए यह शर्त रखी गई कि इस भूमि पर बनने वाली बिल्डिंग का निर्माण किसी और काम के लिए नहीं होगा. साल 2008 में कांग्रेस की यूपीए सरकार सत्ता में थी, तब एक बार फिर इस अखबार का प्रकाशन बंद किया गया. वजह बताई कि कंपनी घाटे में है इसलिए यह फैसला लिया गया है.
2011 में घाटे में चल रही इस कंपनी की होल्डिंग यंग इंडिया लिमिटेड को ट्रांसफर कर दी गई. यंग इंडिया लिमिटेड की एंट्री यंग इंडिया लिमिटेड (YIL) एक कंपनी है. इसकी शुरुआत साल 2010 में हुई. राहुल गांधी तब समय कांग्रेस महासचिव थे और वही इस कंपनी के डायरेक्टर भी बने थे. इसके सबसे ज्यादा 38-38 फीसदी शेयर राहुल गांधी और सोनिया गांधी के नाम थे. अन्य 24 फीसदी शेयर होल्डर में कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीज, पत्रकार सुमन दुबे, और कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा शामिल थे.
इस पूरे मामले में सबसे बड़ा मोड़ 2012 में आया, जब भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने आरोप लगाते हुए निचली अदालत में एक शिकायत दर्ज करवाई. उन्होंने कहा, यंग इंडिया लिमिटेड द्वारा एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड के अधिग्रहण में धोखाधड़ी और विश्वासघात किया गया. इस धोखाधड़ी में कांग्रेस के कुछ नेता शामिल थे.
इसलिए पूरे मामले में सोनिया-राहुल का नाम आगे है
आरोप लगाया कि गांधी परिवार ने कांग्रेस पार्टी के फंड का इस्तेमाल करके AJL का अधिग्रहण किया और इस कंपनी की 2000 करोड़ की सम्पत्ति पर कब्जा करने की कोशिश की.
स्वामी में शिकायत में लिखा कि यंग इंडिया ने AJL की दिल्ली-एनसीआर, लखनऊ, मुंबई और दूसरे शहरों में मौजूद संपत्तियों पर कब्जा किया. इसको लेकर सुब्रह्मण्यम स्वामी ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर छल के जरिए सम्पत्ति पर अधिग्रहण करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, AJL को दिया गया ऋण अवैध है, क्योंकि इसे पार्टी के फंड से दिया गया थाा.
कांग्रेस ने कहा, स्वामी की शिकायत राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित
स्वामी के आरोपों के बाद कांग्रेस ने अपना पक्ष रखा. पार्टी ने कहा, यह मामला राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित है. प्रकाशन कंपनी AJL की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण कांग्रेस ने उसे बचाने की कोशिश सिर्फ इसलिए की क्योंकि पार्टी विरासत को सहेजना चाहती थी. पूरी सम्पत्ति को लेकर कोई हस्तांतरण या परिवर्तन नहीं हुआ है. हालांकि इसके बाद कई बार भाजपा और कांग्रेस की जुबानी जंग भी हुई.
2014 में हुई ED की एंट्री
इस पूरे मामले में मनी लॉड्रिंग हुई है या नहीं, इसकी जांच करने के लिए इस पूरे मामले में 2014 में ED की एंट्री हुई. जानिए कब-कब क्या हुआ…
जून 2014: अदालत ने सोनिया और राहुल को आरोपी के रूप में समन किया.
सितंबर 2015: ED ने इस केस की जांच शुरू की.
दिसंबर 2015: सोनिया गांधी और राहुल गांधी इस मामले में पटियाला कोर्ट में पेश हुए और उन्हें जमानत मिली. सुनवाई जारी रही और सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया.
अक्टूबर 2018: दिल्ली हाई कोर्ट ने AJL को बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित हेराल्ड हाउस को खाली करने का आदेश दिया. जिसके कहा गया कि इस बिल्डिंग का इस्तेमाल व्यावसायिक उद्देश्य के लिए हो रहा है.
फरवरी 2019 : गांधी परिवार इस फैसले के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचा.
अप्रैल 2019 : सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली आदेश के इस फैसले पर रोक लगा दी.
जून 2022 : ED ने राहुल गांधी और सोनिया गांधी को हाजिर होने के लिए भेजा नोटिस.
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