उत्तराखण्ड में सड़क किनारे और अन्य जगहों पर बनी दुकानों, मकानों और रेटोरेंटों को अतिक्रमण बताकर प्रशासन द्वारा जबरन हटाने का डर दिखाने के खिलाफ आज मुख्य न्यायधीश कोर्ट में याचिका मेंशन हुई।
मामले को मेंशन करते हुए पूर्व कांग्रेस सांसद और वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ.महेन्द्र पाल ने खंडपीठ को अवगत कराया कि इस कार्रवाही पर रोक लगाई जाय। उनकी बात को सुनते हुए न्यायालय ने कहा है कि वो इस मामले में याचिका लेकर आएं इसके बाद ही इस पर सुनवाई की जाएगी।
पूर्व में न्यायालय ने नदी, वन भूमि और सभी सड़कों के किनारे से अवैध निर्माण, अतिक्रमण हटाने का आदेश सभी जिलाधिकारियों और वन क्षेत्राधिकारियों को देकर एक्शन टेकन रिपोर्ट न्यायालय में पेश करने को कहा था।
इस आदेश के बाद वन विभाग, लोक निर्माण विभाग और जिला प्रशासन ने नैनीताल के भवाली, हल्द्वानी, पतलोट, भीमताल समेत राज्य के अन्य सभी हिस्सों में स्थित अवैध निर्माण और अतिक्रमणकारियों को नोटिस देकर स्वयं अतिक्रमण हटाने को कहा था।
न्यायालय में इस बात के मेंशन के दौरान कहा गया कि इस वक्त आपदा आई है और दूसरी आपदा प्रशासन ने जारी कर दी है, जिससे राज्य के कई घर परिवारों पर रोजी रोटी का संकट बन गया है। इससे ना सिर्फ पहाड़ से पलायन होगा बल्कि राज्य में बेरोजगारी भी बढेगी। बिना उनके पक्ष को सुने उनको नही हटाया जा सकता, सभी ने अतिक्रमण नहीं किया है। उनके पास वैध दस्तावेज मौजूद हैं।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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