ऑक्सीजन की आस में पिता कों बाइक पर बैठाकर, पूरे दिन दिल्ली और उप्र के अस्पतालों के चक्कर लगाता रहा बेटा,पिता ने सड़क पर दम तोड़ा..जाने पूरी खबर
Gaziabad uttar Pradesh : कोरोना के इस भयावह दौर में कई जगह से अलग अलग तरह की खबरें सामने आ रही है.कही लापरवाही तो कही बेड की दिक्कत तो कही ऑक्सीजन की कमी.. चारों तरह हाहाकार मचा हुआ है. कुछ ऐसा ही मामला गाज़ियाबाद से सामने आया है जहाँ ऑक्सीजन मिलने की उम्मीद में राजधानी दिल्ली में रहने वाले युद्धवीर अपने पिता सुरजन सिंह कों लेकर उत्तर प्रदेश और दिल्ली के अस्पतालों के चक्कर लगा रहें हैं.
: युद्धवीर अपने पिता कों बाइक पर बैठकर दिल्ली और उप्र के अस्पतालों में भगादौड़ी कर रहें हैं. बताया गया है कि युद्धवीर के पिता सुरजन सिंह का ऑक्सीजन हों रहा था और वह बेहोश हों रहें थे. पिता बेहोशी की हालत में गिर ना जाये इसलिए बेटे युद्धवीर ने पिता कों अपनी कमर से बांध रखा था. बेटे की इतनी जद्दोजहद के बाद भी सुरजन सिंह बच ना सकें. बताया जा रहा है कि पिता के लिए युद्धवीर कों कही भी ऑक्सीजन नहीं मिली.और सुरजन सिंह ने गाज़ियाबाद के वैशाली में एक सड़क पर अंतिम सांस ली और उनकी मौत हों गई. बेटे युद्धवीर की मेहनत रंग ना लाई. कलयुग के इस दौर में युद्धवीर जैसे बेटा होना किसी करिश्मे से कम नहीं है. पिता की मौत से युद्धवीर बहवास हों गया. उसके अपने पिता की जान बचाने के लिए हर कोशिश की लेकिन वह सफल नहीं हों सका.. युद्धवीर राजधानी दिल्ली के विनोद नगर का कहने वाला है. जिसने ऑक्सीजन की कमी के चलते अपने पिता कों खो दिया. उसने ऑक्सीजन के लिए दिल्ली और उप्र के अस्पतालों के चक्कर लगाए अपने पिता कों बाइक पर बैठाकर अस्पतालों में लेकर गया लेकिन सब बेकार साबित हुआ उसके पिता ने वैशाली सेक्टर एक की एक सड़क पर दम तोड़ दिया.
बताया जा रहा है कि युद्धवीर के पिता सुरजन का शव दो घंटे तक सड़क पर पड़ा रहा लेकिन इस कलयुगी दुनिया में किसी ने कोई मदद नहीं की..
खबर के मुताबिक बताया जा रहा है कि युद्धवीर के पिता सुरजन सिंह कों पिछले हफ्ते 14 अप्रैल कों बुखार आया था और उनका घर पर ही इलाज कराया जा रहा था.लेकिन रात में उनका ऑक्सीजन लेवल डाउन हों गया.
जिसके बाद युद्धवीर साले के साथ पिता कों लेकर लालबहादुर अस्पताल गये. जहाँ से डॉक्टर ने कहा कि वह पिता कों कोविड हॉस्पिटल लें जाये. जिसके बाद युद्धवीर पिता कों लेकर गुरुतेग बहादुर हॉस्पिटल लें गए वहां डॉक्टर ने सुरजन सिंह की कोरोना का टेस्ट किया और नेगेटिव रिपोर्ट बताकर घर भेजो दिया. लेकिन सुरजन सिंह का ऑक्सीजन लेवल गिर रहा था.पिता की लगातार गिरती हालत कों देखते हुए युद्धवीर दूसरे दिन ग़ज़ियाबाद के कौशाम्बी के एक बड़े हॉस्पिटल लें गए. लेकिन वहां बेड ना होने के कारण युद्धवीर कों निराशा हाथ लगी और वह पिता कों वैशाली सेक्टर 3 के एक हॉस्पिटल लें आये लेकिन वहां डॉक्टर ने बेड ना होने की बात कहकर युद्धवीर और बीमार पिता कों वापास कर दिया. युद्धवीर ने फिर भी हिम्मत नहीं हारी उसके पिता उनके पिता की जिंदगी सब कुछ थीं.. वह हरहाल में अपने पिता कों अस्पताल में भर्ती करा कर अच्छा इलाज करना चाह रहा था. इसके बाद युद्धवीर पिता कों वैशाली के ही सेक्टर एक में एक नामी गिरामी अस्पताल लें आये. वहां उसके पिता कों ऑक्सीजन दी गई लेकिन बेड ना मिलने की बात कहकर डॉक्टर्स ने कही और लें जाने कों कहा युद्धवीर और उसमे बीमार पिता का पूरा दिन ऐसी ही निकल गया. युद्धवीर ने हिम्मत नहीं हारी और बीमार पिता कों बाइक पर बैठाकर एक नई उम्मीद में दूसरे अस्पताल के लिए चल दिया लेकिन रास्ते में उसके पिता की तबियत बिगड़ने लगी और वैशाली के सेक्टर एक की सड़क पर पिता ने दम तोड़ दिया. दो घंटे तक उसके पिता का शव सड़क पर पड़ा रहा लेकिन कोई मदद कों नहीं आया.. बाद में स्थानीय पार्षद मनोज गोयल ने एम्बुलेंस से शव कों दिल्ली भिजवाया
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