हाईकोर्ट – नैनीताल में अतिक्रमणकारियों को राहत नहीं,सिविल कोर्ट में रखें पक्ष

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उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने नैनीताल के बी.डी.पाण्डे अस्पताल परिसर में हुए अतिक्रमण के मामले पर सुनवाई करने के बाद अतिक्रमणकारियों को कोई राहत नहीं दी और उन्हें सिविल कोर्ट में वाद दायर करने को कहा।


मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खण्डपीठ में आज बी.डी.पाण्डे अस्पताल भूमि में अतिक्रमण संबंधी जनहित याचिका में सुनवाई हुई। अतिक्रमणकारियों की तरफ से न्यायालय में प्राथर्नापत्र देकर कहा गया कि प्रशासन द्वारा उनके लाइट पानी के कनेक्शन काटने के आदेश हो गए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी एस.एल.पी.में आदेश दिए थे कि वे उच्च न्यायलय में अपना पक्ष रखें। उनके सिविल वाद कई वर्षों से सिविल कोर्ट में विचाराधीन हैं। इसलिए उन्हें नहीं हटाया जाय। खंडपीठ ने सुनवाई के बाद उन अतिक्रमणकारियों को जिनके वाद सिविल न्यायालय में विचाराधीन है उन्हें अपना पक्ष वहीं रखने को कहा है।


पूर्व में न्यायालय ने जिला प्रशासन को निर्देश दिए थे कि अस्पताल की अतिक्रमित भूमि को तत्काल प्रभाव से अतिक्रमण मुक्त कराएं। मामले के अनुसार बी.ड़ी.पांडे जिला पुरुष चिकित्सालय में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव होने के खिलाफ नैनीताल निवासी अशोक साह ने जनहित याचिका दायर की थी।

याचिका में कहा गया था कि जिले का मुख्य अस्पताल होने के बावजूद यहां से छोटी सी जांच के लिए सीधे हल्द्वानी भेजा जाता है, जबकि यहाँ इलाज कराने के लिए दूर दूर से मरीज आते हैं, लेकिन उनकी शुरुआती जांच कर हायर सेंटर रैफर कर दिया जाता है।

इस मामले की सुनवाई के दौरान अस्पताल की 1.49 एकड़ भूमि पर अवैध कब्जा होने की जानकारी न्यायालय के संज्ञान में लाई गई थी । जिसपर न्यायालय ने जिलाधिकारी से रिपोर्ट मांगी थी। प्रशासन की रिपोर्ट में अस्पताल की भूमि में अतिक्रमण होने की पुष्टि हुई है। प्रशासन ने अतिक्रमणकारियों के बिजली और पानी के कनेक्शन काटने शुरू कर दिए हैं।

वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती

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