बीस साल का हुआ उत्तराखंड, इक्कीस वे साल में लगा,लेकिन जो कल्पनाये थी वो अब तक नही हुई पूरी..
काशीपुर ऊधम सिंह नगर 09.November 2020 GKM NEWS राज्य स्थापना की बीसवीं वर्षगांठ पूरे प्रदेश में धूमधाम से मनाई जा रही है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि उत्तराखण्ड राज्य की कल्पना जिन उद्देश्यों के लिए की गयी क्या वो पुरे हो सके, क्या वास्तव में पलायन रुका, क्या पहाड के बेरोजगारों को उत्तराखण्ड में ही रोजगार के अवसर मिल पाये या ये कहें कि पहाडों की जो तस्वीर विकास की खिंची गयी थी उस तस्वीर को कितना साकार किया गया ये जानने के लिए देखिये उधमसिंहनगर से एक रिपोर्ट, जिसमें आपको दिखायेंगे कैसे ठगे गये पहाड युवा और क्यों नहीं बन पायी उघोग नीति।
उत्तराखण्ड राज्य बाल्यकाल को पुरा करते हुए अपनी युवा अवस्था में पहुंच गया है, लेकिन इस प्रदेश के विकास की तस्वीर बनायी गयी थी वो धरातल पर कभी उतर ही नहीं पायी, प्रदेश को विकास की गति देने के लिए उघोग लगाये और उनको सब्सीडी भी दी गयी, मगर जो नामी कम्पनियां यहां आयी उन्होंने छोटे स्तर पर ग्रोथ कर रहे उघोगों को सहारा देने के बजाय नकार दिया, लिहाजा छोटे उघोग पनप ही नहीं पाये, यहीं नहीं पहाडों पर विकास हो इसके लिए कुटीर और लघु उघोगों का आलाप तो रटा गया.
लेकिन प्रदेश की सरकारों की गलत नीतियों के चलते वो उघोग लग ही नहीं पाये, जबकि कई कम्पनियों ने सब्सीडी का लाभ लिया और चलते बने, हालात ये हैं कि इस उघोग नीति से ना तो प्रदेश के युवाओं को रोजगार मिला और ना उघोग ही पनप सके। वहीं इससे बडा छलावा तो प्रदेश के युवाओं के साथ ये हुआ कि नीति के मुताबिक प्रदेश में लगने वाले उघोगों को सत्तर प्रतिशत रोजगार उत्तराखण्ड के बोरोजगारों को देना था, आंकड़ों की माने तो अब तक एक दो बडी कम्पनियों को छोड किसी ने भी इस नियम का पालन नहीं किया, और पहाड के युवाओं को पलायन करने पर मजबूर कर दिया।
जबकि भाजपा सरकार के विकास कार्यों में आज भी पलायन और बेरोजगारी प्राथमिकता में नही है, जबकि सिर्फ पर्यटन को ही अपनी प्राथमिकता मानती है। बहरहाल प्रदेश की औघोगिक नीति ना बनने के चलते जहां उघोग सिमट रहे हैं तो दुसरी और प्रदेश के युवाओं के साथ छलावा हो रहा है, रोजगार प्रदेश के युवाओं को जिन उघोगों में मिलना था वो नियमों को ताक पर रख कर नियुक्तियां कर रहे हैं एसे में प्रदेश के युवाओं को दुसरे प्रदेशों की ओर रुख करना पड रहा है, बीस सालों में विकास का कोई माडल तो सरकारें बना नहीं पायी मगर घोटालों में जरुर सरकारों ने नये कीरितीमान खडे किये हैं।
बाईट :- शेलेन्द्र मोहन सिंघल…. पूर्व विधायक
बाईट :- आदेश चौहान……….कांग्रेस विधायक
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