नैनीताल के जिला प्रशासन पर लटकी उच्च न्यायालय की अवमानना की तलवार, तो वहीं अवैध फड़ व्यवसाइयों पर छाया बेरोजगारी का काला साया। आज दोपहर में मुनादी के बाद फड़ व्यवसाइयों को शाम से नियमानुसार बैठने की अनुमति।
बीते दिनों उच्च न्यायालय में अधिवक्ता नितिन कार्की की अवमानना याचिका पर सुनवाई के बाद वरिष्ठ न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा की एकलपीठ की फटकार के बाद जिला प्रशासन अतिक्रमण को लेकर सख्त दिखा। रविवार को प्रशासन की तरफ से ए.डी.एम.अशोक जोशी, एस.डी.एम.राहुल साह, तहसीलदार नवाजिश खलीक और नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी अशोक कुमार ने नगर पालिका कार्यालय में बैठक कर रणनीति बनाई। एस.डी.एम.ने गोविंद बल्लभ पंत पार्क से गुरुद्वारे तक लगाए गए सभी फड़ों का निरीक्षण किया और कुछ व्यवसाइयों से वार्ता कर उनकी वैधता जानी। उन्होंने ई.ओ.नगर पालिका को निर्देश देकर सभी फड़ व्यवसाइयों को नोटिस पकड़ाने और चस्पा करने को कहा।
दरअसल उच्च न्यायालय के 2015 के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा के एक आदेश के बाद ‘पूअर ऑफ दा पूअरेस्ट’ (अति गरीब)की श्रेणी में आने वाले फड़ व्यवसाईयों को पंत पार्क से गुरुद्वारे तक पटरी में व्यवसाय करने की अनुमति मिली थी। इन अस्थाई दुकानों के साइज 4’×6′ और इन्हें शीतकाल में शाम छह बजे से आठ बजे तक एक लेन में लगाने की अनुमति देने को कहा गया था। कुल 121 पंजीकृत फड़ों को दी गई अनुमति के अनुसार ग्रीष्मकाल में अलग समय निर्धारित करते हुए इनके लिए स्थायी वेंडर जोन बनने तक ये व्यवस्था जारी रखने को कहा गया था।
सात वर्षों में वेंडर ज़ोन तो अलॉट भी नहीं हो सका, लेकिन ये फड़ व्यवसायी मार्ग में दोनों तरफ बड़ी संख्या में काबिज हो गए। अब अवमानना याचिका में आदेशों का पालन करने को कहा गया है। एस.डी.एम.राहुल साह ने बताया कि सोमवार दोपहर में मुनादी के बाद यहां पुलिस फोर्स लगाकर फड़ व्यावइयों में से केवल पंजीकृत लोगों को समय से नियमानुसार बैठने की अनुमति दी जाएगी।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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