EXCLUSIVE स्टोरी – सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के 80वें जन्मदिन के मौके पर हम आपको उनसे जुड़ी कुछ ऐसी जानकारियां देते हैं जिन्हें आप शर्तिया नहीं जानते होंगे। महानायक ने शौहरत और बुलंदियों में पहुंचने से पहले पत्थर और मलुवा फैंकने का काम तक किया है।
बॉक्सिंग रिंग में उनको सर्वश्रेष्ठ तकनीकी(साइंटिफिक)बॉक्सर का खिताब मिला था और उनके पिता ने उन्हें बॉक्सिंग पर एक किताब लिखकर दी थी।
नैनीताल के ईस्ट फेसिंग अयारपाटा हिल में बने शेरवुड कॉलेज से कई बड़ी हस्तियों ने पढ़ा हैं। यहां की शिक्षा, अनुशासन, सीख और खेलों के प्रति कर्तव्यनिष्ठा ने आम छात्रों को देश और दुनिया के सबसे बड़े शिखरों में खड़ा होना सिखाया है। वर्ष 1957 में अमिताभ श्रीवास्तव उर्फ ‘अमिताभ बच्चन’ के पिता हरिवंश राय बच्चन ने उन्हें पड़ने के लिए नैनीताल के शेरवुड कॉलेज भेजा। पढ़ाई के दौरान अमिताभ बच्चन को निर्माणाधीन स्विमिंग पूल में सहायता के लिए भेजा गया।
ये नैनीताल में राजभवन के स्वीमिंगपूल के बाद दूसरा पूल बन रहा था। स्कूल के प्रिंसिपल अमनदीप संधू ने बताया कि स्कूल में पूल बनाने के लिए रात को विस्फोट कर पत्थरों को तोड़ा जाता था और सवेरे छात्र इसके पत्थर और मलुवे को बैग में भरकर दूर फैंकने के लिए जाते थे। छात्रों को इसके पारितोष स्वरूप शाम को बाजार घूमने जाने का मौका मिलता था। बताया गया कि अमिताभ भी इस मुहिम में जोर शोर से जुड़े और इसके फलस्वरूप कई बार बाजार घूमने गए।
इतना ही नहीं अमिताभ ने स्कूल की वार्षिक बॉक्सिंग प्रतियोगिता में भाग लिया और अपनी हाइट और कम भार का फायदा उठाते हुए प्रतिद्वंदियों पर भारी पड़ गए। अमिताभ बच्चन को स्कूल की कमिटी ने बैस्ट साइंटिफिक(टेक्निकल)बॉक्सर का खिताब भी दिया। बताते हैं कि अमिताभ बच्चन के पिता हरिवंश राय बच्चन जो उस दौरान कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में थे ने दोनों बेटों को बॉक्सिंग पर एक किताब लिखकर दी थी। उसमें एक कोट ये था कि “अ गुड़ हार्ड ब्लो इस अ डिलाइट टू दा माइंड”। ये ऐसी सीख थी जिसे अमिताभ ने अपने जीवन में उतारा और हर परिस्थितियों से मजबूती से लड़ना सीखा।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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