नैनीताल : पहली बरसात में नालों के कूड़े और मलबे से बदरंग हुई नैनीझील की खूबसूरती…देखिये ये ख़ास रिपार्ट

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उत्तराखण्ड के नैनीताल की विश्व प्रसिद्ध खूबसूरत नैनीझील का ये हाल देखकर आपके आसूं आ जाएंगे । हल्की सी बारिश के बाद शहर के नालों ने चारों तरफ से कूड़ा झील तक पहुंचा दिया है ।


नैनीताल में पिछले कुछ वर्षों से लगातार बढ़ते बोझ के कारण नैनीझील पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने लगा था । वर्ष 2005 के बाद झील में मछलियों के मरने का क्रम तेजी से बढ़ने लगा । इसके बाद सरकार ने रुद्रपुर की कंपनी के साथ अमरीकी तकनीक से ऐरिएशन का काम वर्ष 2008 में शुरू किया । इससे झील की तलहटी में जमे गाध में ऑक्सीजन का स्तर शून्य से संतोषजनक दस एम.जी.तक पहुंच गया । अब मछलियों के मरने का क्रम भी बंद हो गया । झील भी साफ साफ नजर आने लगी और यहां साफ पानी मे रहने वाली गोल्डन महाशीर और ग्रास कार्प मछली भी पनपने लगी।

नैनीताल में ब्रिटिशकाल बने सभी 62 नाले झील में न केवल पानी पीकर आए बल्कि आज की बरसात में ये नाली में पड़ा कूड़ा भी पहुंचा है । इससे नैनीझील के भविष्य को लगातार खतरा बना हुआ है ।


सोमवार तड़के सवेरे हुई बरसात के बाद मुख्य बसासत वाले नालों से झील में पानी के साथ घरेलू कूड़ा और मलुवा पहुंचा है । सुंदर प्राकृतिक झील की बदहाली देखकर सभी को बहुत दुख हो रहा है । कूड़ा और मलुवा झील में तैरता नजर आ रहा है, भारी मलुवा झील की तलहटी में बैठ गया है । इसके कारण झील में पानी थामने की श्रमता भी लगातार घटते जा रही है ।

झील में लगे ऐरिएशकन सिस्टम का भी झील को ऐसे में कोई फायदा नहीं मिल रहा है ।इसके अलावा झील की सफाई के लिए पाली गई एक लाख और साठ हजार से अधिक गोल्डन महाशीर और ग्रास कार्प मछली भी अपना काम करने के बजाए ब्रेड और बन में हानिकारक मैदे को खा रही हैं ।

वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती

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