उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने जेल से आए एक पत्र में कैदियों की अमानवीय स्थिति पर स्वतः संज्ञान लेते हुए दस दिनों के भीतर एक प्रिजन डेवलपमेंट बोर्ड बनाने के लिए कहा।
मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने ऊत्तराखण्ड की जेल में तय संख्या से अत्यधिक कैदी भरे होने और कैदियों के साथ अमानवीय व्यवहार संबंधी एक पत्र के बाद उच्च न्यायालय ने इसे स्वतः संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका के रूप में ले लिया।
न्यायालय में न्याय मित्र जी.एस.विर्क ने जानकारी देते हुए कहा कि हरिद्वार जेल में 870 कैदियों की जगह 1400 कैदी, रुड़की में 244कैदियों की जगह 625 कैदी, देहरादून में 580 की जगह 1491 कैदी, सितारगंज में 552 की जगह 621कैदी, हल्द्वानी में 535 की जगह 1713 कैदी, नैनीताल में 71 की जगह 174 कैदी और अल्मोड़ा में 1029 की श्रमता वाले जेल में कुल 325 कैदी भरे गए हैं।
सरकार की तरफ से न्यायालय में अपना पक्ष रखते हुए कहा गया कि राज्य में कई नई जेल बन रही हैं, जिसमें पिथौरागढ़ जेल का निर्माण पूरा हो गया है, उधम सिंह नगर जेल का काम 43प्रतिशत हो गया है जबकि हल्द्वानी जेल का निर्माण कार्य भी 55प्रतिशत पूरा हो चुका है। जेल में चिकित्सक और मनोवैज्ञानिक को कॉन्ट्रैक्ट बेस पर रखा जाएगा।
न्यायालय ने इस पर जेल निर्माण का कार्य जल्द पूरा करने को कहा है। इसके अलावा राज्य में जेल विकास बोर्ड निर्माण के लिए सदस्यों में जेल मंत्री चेयरमैन, मुख्य सचिव वाईस चेयरमैन, प्रमुख सचिव ग्रह(जेल), प्रमुख सचिव वित्त, प्रमुख सचिव राजस्व, न्याय सचिव, डी.जी.पी., सरकार की तरफ से नामित दो लोग जिसमें एक महिला होनी अनिवार्य है के साथ ही डी.जी.जेल को शामिल किया गया है। मामले में अगली सुनवाई 23 गस्त को तय की गई ही।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
लेटेस्ट न्यूज़ अपडेट पाने के लिए -
GKM News is a reliable digital medium of latest news updates of Uttarakhand. Contact us to broadcast your thoughts or a news from your area. Email: [email protected]