उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने आर.टी.आई.कार्यकर्ता भुवन पोखरिया की सुरक्षा की मांग संबंधी याचिका में याची को निर्देश दिए हैं कि उन्हें जिन लोगों से खतरा है उनको अपनी याचिका में सोमवार 6 नवम्बर से पहले पक्षकार बनाएं। मामले की अगली सुनवाई 6 नवम्बर सोमवार को होनी तय हुई है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खण्डपीठ ने आर.टी.आई.कार्यकर्ता भुवन पोखरिया को खनन, शराब और वन माफियाओं समेत अन्य से बचने के लिए सुरक्षा दिलाये जाने को लेकर दायर याचिका में सुनवाई की। मामले की सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने मौखिक तौर पर सरकार से कहा कि पोखरिया को कोई जान माल का खतरा उतपन्न न हो। क्योंकि उन्होंने कई भ्रष्टाचार के मामले आर.टी.आई.के माध्यम से उजगार किये और न्यायालय को बताए।
मामले के अनुसार हल्द्वानी के चोरगलिया निवासी भुवन पोखरिया ने भ्रष्टाचार से सम्बंधित कई जनहित याचिकाएं न्यायालय में दायर की हैं। जिनमें मुख्यतः लालकुआं दुग्ध उत्पादक संघ द्वारा 7 लाख लीटर कैमिकल युक्त दूध उपभोक्ताओं में बांटना भी है।
इसके अलावा खनन के क्षेत्र में कर्मचारियो द्वारा सरकार को भारी नुकसान पहुंचाने, सरकारी कर्मचारियों की नियम विरुद्ध पदोन्नति होने, एन.एच.74 घोटाले में शामिल अधिकारियों की बिना जाँच बहाल होने, पूर्व जिलाधिकारी द्वारा एन.जी.टी.के नियमों की अवहेलना कर कृषि भूमि में रसूखदारों को खनन के पट्टे आवंटित करना भी शामिल है। इन मुद्दों को उठाने के कारण, उन्होंने अपनी सुरक्षा को खतरा बताया। इस सम्बंध में उन्होंने गृह सचिव और डी.जी.पी.को पत्र भेजा लेकिन उनके पत्र का अभीतक संज्ञान नहीं लिया गया। उन्होंने याचिका में प्रार्थना की है कि उन्हें और उनके परिवार को जानमाल का खतरा है।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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