उत्तराखंड में RTI के दायरे में होंगी बेशकीमती वक्फ संपत्तियां, आदेश पारित

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उत्तराखंड में विश्व प्रसिद्ध पिरान कलियर शरीफ दरगाह के साथ ही प्रदेश की अरबों रुपये की 2000 से अधिक वक्फ संपत्तियों के बारे में भी सूचना देनी होगी। ये सभी संपत्तियां सूचना के अधिकार अधिनियम के दायरे में होंगी।

राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने इस मामले में आदेश पारित कर अपील का निपटारा भी कर दिया। उन्होंने वक्फ बोर्ड व वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में छह महीने के भीतर आरटीआई एक्ट के तहत मैनुअल तैयार करने के निर्देश दिए। उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के नियंत्रण में होने के बावजूद कलियर शरीफ दरगाह व वक्फ संपत्तियों को सूचना के अधिकार से बाहर रखा गया था।

यह मामला तब खुला पिरान कलियर निवासी अधिवक्ता दानिश सिद्दीकी ने सूचना अधिकार अधिनियम के तहत उत्तराखंड बोर्ड से कलियर दरगाह के संबंध में सूचना मांगी, लेकिन सूचना देने से इन्कार कर दिया गया कि पिरान कलियर में कोई लोक सूचना प्राधिकारी नहीं है। प्रथम विभागीय अपीलीय अधिकारी से भी सूचना न मिलने पर अधिवक्ता दानिश सिद्दीकी ने आयोग का दरवाजा खटखटाया।

अपील की सुनवाई राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने की। उन्होंने वक्फ बोर्ड केक अधिकारियों का जवाब तलब किया। साथ ही वक्फ अधिनियम और वक्फ के नियंत्रण में समस्त संपत्तियों को लेकर तमाम सूचनाओं को स्पष्ट करने के आदेश दिए। सूचना आयुक्त के सख्त रुख से साफ हुआ कि सभी वक्फ संपत्तियां बोर्ड के नियंत्रण में हैं और बोर्ड के मुख्य कार्यपालक अधिकारी वक्फ संपत्ति के दस्तावेजों का निरीक्षण कर सकते हैं या करा सकते हैं।

सभी वक्फ संपत्तियां सरकार के अधीन हैं। बोर्ड के मुख्य कार्यपालक का भी जवाब तलब हुआ। उन्हें बोर्ड लोक सूचना अधिकारी की तैनाती करनी पड़ी। साथ ही वक्फ प्रबंधन में भी सूचना का अधिकार अधिनियम को लागू करने के आदेश दिए। उन्होंने बोर्ड को निर्देश दिए कि सूचना देने की व्यवस्था सीधे संबंधित वक्फ प्रबंधन या बोर्ड के माध्य से दिए जाने को लेकर शीघ्र विधिसम्मत व्यवस्था बनाएं।

आदेश की प्रति इस आशय से सचिव अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के साथ ही सामान्य प्रशासन विभाग को भी भेजी गई, ताकि उनके स्तर पर भी सूचना दिए जाने की व्यवस्था में बोर्ड को मार्गदर्शन प्राप्त हो सके।कलियर शरीफ दरगाह व अन्य वक्फ संपत्तियों के आरटीआई के दायरे में आने से प्रबंधन में खलबली मच गई है। जानकारों का मानना है कि आरटीआई एक्ट लागू होने से अरबों रुपये की संपत्ति को लेकर पारदर्शिता आएगी और मनमानी पर लगाम लगेगी। इतना ही नहीं देश के अन्य राज्यों के लिए भी ये आदेश नजीर बन सकता है, जहां वक्फ संपत्तियां आरटीआई के दायरे में नहीं है।

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