कोतवाली में नवदंपत्ति को पीटने और सुरक्षा के आदेश फाड़ने के मामले में कप्तान को निर्देश

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उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने कथित नव दंपत्ति को सुरक्षा मुहय्या कराने संबंधी आदेश लेकर कोतवाली पहुंचे दंपत्ति को जांच अधिकारी द्वारा पीटने, कोर्ट के कागज फाड़ने और धमकी देने की शिकायत पर न्यायालय ने जांच कर दोषी का संज्ञान लेने और सी.सी.टी.वी. फुटेज को सुरक्षित रखने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 12 अप्रैल को होनी तय हुई है।

मामले के अनुसार, किच्छा निवासी मुस्कान और रवि रस्तोगी एक वर्ष से रिश्ते में थे। बीती 26 फरवरी को परिवारों की अनुमाती के बगैर उन्होंने शादी कर ली। शादी की सूचना के बाद उन्हें मुस्कान के चाचा लोगों की तरफ से जान से मारने की धमकी मिलने लगी। रवि सुनार का काम करता है और उसकी किच्छा के दरउ और रुद्रपुर में दो दुकानें हैं।

उच्च न्यायालय से रवि को अग्रिम जमानत(एंटीसिपेटरी बेल)बेल दे दी। आरोप है कि चाचा के दबाव में पिता जयराम सिंह ने कोतवाली किच्छा में एफ.आई.आर.दर्ज कराई। कथित दंपत्ति ने न्यायालय से 4 अप्रैल को पुलिस प्रोटेक्शन भी ले ली। कथित दंपत्ति को आर्डर रिसीव कराने के लिए किच्छा कोतवाली में बुलाया गया।

आरोप है की 6 अप्रैल को जांच अधिकारी ने कोतवाली में गुस्से में उनका फोन छीना और कोर्ट आर्डर को फाड़ दिया। उसपर, केस को रफ़ा दफा करने के नाम पर एक लाख रुपये की डिमांड करने का आरोप लगाया गया है। ये भी आरोप है कि जांच अधिकारी ने रवि की माता, बहन, मुस्कान और रवि को पीटा।

आरोप ये भी है कि पुलिस ने परिवार पर दबाव डाला और केस वापस लेने के लिए कई लोगों से फोन करवाए, कहा की उन्हें दूसरे मामले में फंसा देंगे। आज सभी उच्च न्यायालय पहुंचे और न्यायालय में अपनी बात रखी।

वरिष्ठ न्यायाधीश मंनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने यू.एस.नगर के एस.एस.पी.को जांच कर दोषी पाए जाने पर कार्यवाही करने को कहा है। खंडपीठ ने सी.सी.टी.वी.फुटेज को भी सुरक्षित रखने को कहा है। सरकार के अधिवक्ताओं का कहना है कि लड़की नाबालिग है जिसके साक्ष्य मौजूद हैं और पुलिस जांच में सब साफ हो जाएगा।

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