उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने कालाढूंगी से बाजपुर मार्ग में लकड़ी दोहन संबंधी सुओ मोटो पी.आई.एल.में एक माह तक किसी भी तरह की लकड़ी उठाने पर रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने सचिव वन को निर्देशित करते हुए कहा कि 2006 के फारेस्ट राइट एक्ट के अंतर्गत उन लोगों को चिन्हित करें जिन्हें वन क्षेत्र से अनुमाती दी जा सकती है। एक माह के बाद दोबारा मामले में सुनवाई होनी तय हुई है।
उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा ने पिछले दिनों दिल्ली को जाते वक्त कई साइकिलों में लोगों को कुंटल कुंटल लकड़ी ले जाते हुए देखा था। इसके बाद उन्होंने इसे वन संपदा का दोहन मानते हुए सुओ मोटो लेते हुए एक जनहित याचिका के रूप में लिया।
न्यायालय ने वन महकमे के अधिकारियों को तलब किया। अधिकारियों के तर्क से नाराज न्यायालय ने उनसे कई सवाल किए जिसके वो संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। न्यायमित्र हर्षपाल शेखों ने बताया की न्यायालय ने एक माह तक इस मार्ग में लकड़ी उठाने पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही न्यायालय ने 2006 के फारेस्ट राइट एक्ट के अंतर्गत उन लोगों को चिन्हित करने को कहा है जिन्हें वन क्षेत्र से अनुमाती दी जा सकती है।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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