उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने चमोली के जिला एवं सत्र न्यायाधीश धनन्जय चतुर्वेदी के निलंबन के खिलाफ दायर याचिका में मामले को सुनने से इनकार करते हुए दूसरी खण्डपीठ को सुनने के लिए भेज दिया है।
मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित और न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खण्डपीठ ने पिछली तारीख पर, आज होने वाली सुनवाई से पहले अपने रजिस्ट्रार जर्नल से सील बन्द लिफाफे में पूरा रिकार्ड मांग लिया था। खण्डपीठ ने किन्हीं कारणों से मामले को सुनने से इनकार करते कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के पास लौटा दिया है। वहीं से अब नए खंडपीठ का निर्णय होगा।
मामले के अनुसार, पूर्व जिला जज धनन्जय चतुर्वेदी पर उनके पद के खिलाफ आचरण का आरोप लगा है। उन्हें, उच्च न्यायालय से 14 अप्रैल 2023 को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। उनपर गवाही के दौरान डायस पर मौजूद नहीं होने का आरोप है ।
24 जुलाई को उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल अनुज संगल के आदेश में कहा गया था कि धनजंय चतुर्वेदी की उनके न्यायालय में अनुपस्थिति के दौरान गवाही हुई और उसकी वीडियो रिकार्डिंग हुई।न्यायालय की वीडियो क्लिप रिकॉर्डिंग से स्पष्ट रूप से देखा गया।
धनंजय इस बात का सही जवाब नहीं दे सके कि ये वीडियो रिकार्डिंग किसने की और क्यों की ? उच्च न्यायालय को इस घटना की शिकायत के साथ वीडियो-क्लिपिंग भेजी गई थी। बताया गया कि जिस समय बयान रिकॉर्ड किये गए उस दौरान पीठासीन अधिकारी, अदालत में मौजूद नहीं थे।
न्यायालय ने धनंजय चतुर्वेदी के खिलाफ आरोपपत्र जारी कर उत्तराखंड सरकारी सेवक (अनुशासन और अपील) नियम, 2003 के नियम 7 के तहत उनके खिलाफ नियमित जांच शुरू की।
अपने निलंबन के दौरान, धनंजय चतुर्वेदी को चंपावत के जिला एवं सत्र न्यायाधीश के कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया था।
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