उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने आज सिंगल यूज प्लास्टिक बैन संबंधी जनहित याचिका में सुनवाई करते हुए सीमेंट निर्माता एससोसिएशन,अल्ट्राटेक जैसी सीमेंट कंपनियों की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनुसिंघवी और वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव नैयर की उपस्थिति में प्रार्थनापत्र को खारिज कर दिया है।
सीमेंट कंपनियों ने न्यायालय से पंजीकरण से छूट संबंधी राहत देने की दरख्वास्त लगाई थी। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दुष्यन्त मैनाली ने राज्य के सम्वेदनशील पर्यावरण को देखते हुए सीमेंट कम्पनियों को पर्यावरण मानकों से छूट दिए जाने का पुरजोर विरोध किया ।
मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने कूड़ा निस्तारण और प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट संबंधी जनहित याचिका में सुनवाई की। पूर्व में मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने इस कार्यवाही में प्रदूषण बोर्ड के 2 दिसंबर 2022 के 1700 से अधिक फैक्ट्री बंदी के आदेश पर भी सुनवाई करते हुए उन्हें एक हफ्ते के लिए तालाबंदी से मुक्त रखने को कहा था। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने न्यायालय को क्षेत्र में कूड़े की हकीकत और नियमों के उल्लंघन से अवगत कराया था।
मामले के अनुसार अल्मोड़ा के हौलबाग निवासी जितेंद्र यादव ने याचिका दायर कर उच्च न्यायालय से सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक लगाने की प्रार्थना की थी। याचिका में आयुक्त कुमाऊं, आयुक्त गढ़वाल, सचिव वन एवं पर्यावरण और मैम्बर वाइल्डलाइफ बोर्ड भी व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए थे जिन्होंने न्यायालय को हालातों और उससे लड़ने की योजना के बारे में अवगत कराया था।
आज सीमेंट कंपनियों द्वारा न्यायालय में इंटरवेंशन और रिकॉल एप्लिकेशन लगाकर गुहार लगाई गई थी कि इसी से संबंधित उनकी एक याचिका दिल्ली हाइकोर्ट में भी लंबित है इसलिए उन्हें पंजीकरण से छूट दी जाए। न्यायालय ने इस याचिका को खारिज कर दिया।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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