हाईकोर्ट : नदियों को चैनलाइज करने के मामले में सरकार से जवाब तलब

ख़बर शेयर करें

www. gkmnews

ख़बर शेयर करें

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने नंधौर, गौला, कोसी, गंगा, दाबका सहित अन्य नदियों में बरसात के दौरान हो रहे भूकटाव और बाढ़ से नदियों के मुहाने अवरुद्ध होने के कारण आबादी क्षेत्रों में जल भराव, भूकटाव को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पूर्व के आदेश का अनुपालन करने के निर्देश के साथ न्यायालय ये ने सरकार से पूछा है। कि आने वाले मानसून के लिए क्या क्या तैयारियां की गई हैं ? इस बात से 29 अप्रैल तक अवगत कराएं। मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट ने 29 अप्रैल की तिथि नियत की है।

आज हुई सुनवाई पर याचिकाकर्ता भुवन पोखरिया ने आज भी न्यायालय को अवगत कराया कि सरकार ने पूर्व के आदेश का अनुपालन नही किया न ही नदियों का चेनलाईजेशन किया। जिसका खुलासा आरटीआई से हुआ है।

आपको बता दे कि हल्द्वानी चोरगलिया निवासी भुवन चन्द्र पोखरिया ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि उत्तराखंड में वर्षात के समय नदियों में शिल्ट जमा होने से नदियों के मुहाने अवरुद्ध हो जाते है जिससे बाढ़ व भूकटाव के साथ ही आबादी क्षेत्र मे जलभराव होता है। पानी के कटाव के चलते हजारों हैक्टेयर वन भूमि, पेड़, सरकारी योजनाएं बह जाती हैं।

नदियों का चैनलाइजेशन नही होने पर नदियां अपना रुख आबादी की तरफ कर कर देती हैं। जिसकी वजह से उधम सिंह नगर, हरिद्वार , हल्द्वानी, रामनगर , रुड़की, देहरादून में बाढ़ की स्थिति उतपन्न हो जाती है। पिछले साल बाढ़ से कई पुल बह गए थे। आबादी क्षेत्रों में बाढ़ आने का मुख्य कारण सरकार की लापरवाही है।

सरकार ने नदियों के मुहानों पर जमा गाद, बोल्डर, मलुआ को नही हटाना है। जनहित याचिका में यह भी कहा गया कि सरकार ने उच्च न्यायलय के आदेश दिनांक 14 फरवरी 2023 का पालन नही किया गया। जिसकी वजह से प्रदेश में बाढ़ जैसी स्थिति उतपन्न हुई है। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि राज्य सरकार सम्बंधित विभागों को साथ लेकर नदियों से गाद, मलुवा बोल्डर हटाकर उन्हें चैनलाइजेशन करे। ताकि बरसात में नदियों का पानी बिना रूकावट के बह सके।

वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती

लेटेस्ट न्यूज़ अपडेट पाने के लिए -

👉 Join our WhatsApp Group

👉 Subscribe our YouTube Channel

👉 Like our Facebook Page

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *