हाईकोर्ट ने केन्द्र-डीएम और मैनेजमेंट को 24 घंटे में इस कालोनी की वाटर सप्लाई बहाल के दिये निर्देश

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उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने एच.एम.टी.के कर्मचारी आवासीय कॉलोनी में पानी की आपूर्ति को अवैध रूप से रोकने के खिलाफ याचिका में केंद्र सरकार, जिलाधिकारी, एच.एम.टी.वॉच फैक्ट्री प्रबंधन को 24 घंटे के भीतर आवासीय कॉलोनी में पानी की आपूर्ति बहाल करने के निर्देश दिये गए हैं। न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकलपीठ ने निवासियों को जल शुल्क का भुगतान करने को कहा है।


एच.एम.टी.कामगार संघ ने रानीबाग के कर्मचारी आवासीय कॉलोनी में पानी की आपूर्ति को अवैध रूप से ठप करने के खिलाफ उत्तराखंड उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। कहा गया कि 2 जनवरी 2024 को एच.एम.टी.फैक्ट्री प्रबंधन ने याचिकाकर्ता कर्मचारियों के आवास की पेयजल आपूर्ति बंद कर दी थी। कर्मचारियों ने फैक्ट्री बंद करने के आदेश को पहले ही उच्च न्यायालय में चुनौती दे दी है जो लंबित है।

कर्मचारियों ने न्यायालय से प्रार्थना कर कहा कि वर्ष 2016 में केंद्र सरकार द्वारा सशर्त बंद करने की अनुमति दी गई थी, जिसके अनुसार 2007 के नैशनल पे-स्केल पर वी.आर.एस./वी.एस.एस.पैकेज या छंटनी मुआवजा देने के बाद ही फैक्ट्री को बंद किया जा सकता था।


एच.एम.टी.वॉच फैक्ट्री प्रबंधन ने याचिकाकर्ताओं को 2007 के नैशनल पे-स्केल पर वी.आर.एस./वी.एस.एस.पैकेज नहीं दिया है, इसलिए प्रबंधन ने स्वयं बंद करने के आदेश की शर्तों का उल्लंघन किया है। विवाद अभी भी न्यायालय के समक्ष लंबित है और निवासियों को कॉलोनी खाली करने के लिए मजबूर करने का कोई भी प्रयास मनमाना और अवैध है।


याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता इरुम ज़ेबा के अनुसार, न्यायालय ने आज मामले की सुनवाई हुई जिसमें केंद्र सरकार, जिलाधिकारी, एच.एम.टी.वॉच फैक्ट्री प्रबंधन को 24 घंटे के भीतर रानीबाग के एच.एम.टी.कर्मचारी आवासीय कॉलोनी में पानी की आपूर्ति बहाल करने का निर्देश दिया है। साथ ही निवासियों को जल शुल्क भुगतान करने को भी कहा गया है।

वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती

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