राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग यूक्रेन में पढ़ रहे भारतीय मेडिकल छात्रों के संबंध में अकादमिक गतिशीलता कार्यक्रम के लिए अपनी अनापत्ति दे दी है। बशर्ते कि उम्मीदवारों को स्क्रीनिंग टेस्ट विनियम 2002 के अन्य मानदंड पूरे हों। नेशनल मेडिकल कमीशन ने एकेडमिक मोबिलिटी प्रोग्राम को एनओसी देते हुए अधिसूचना भी जारी कर दी है।
केंद्र सरकार ने यूक्रेन से पढ़ाई बीच में छोड़कर लौटे 20 हजार मेडिकल स्टूडेंट्स को बड़ी राहत दी है. रूस-यूक्रेन वॉर के चलते यूक्रेन में पढ़ने वाले मेडिकल के छात्रों के भविष्य को लेकर सरकार ने बड़ा ऐलान किया है. दरअसल, यूक्रेन से लौटे छात्रों को फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएशन परीक्षा में बैठने की परमिशन मिल गई है.
लगभग 20 हजार भारतीय छात्रों ने की वतन वापसी
विदेश मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार लगभग 20 हजार भारतीय छात्र यूक्रेन से लौटे हैं. कुछ समय पहले नेशनल मेडिकल कमीशन ने नियमों को हवाला देते हुए पढ़ाई बीच में छोड़कर वतन वापसी करने वाले छात्र-छात्राओं को राहत देने से मना कर दिया था. वहीं, मंगलवार को कमीशन ने एनओसी जारी की. एनओसी के मुताबिक ये स्टूडेंट अब दुनिया के किसी भी मेडिकल कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी कर सकेंगे. हालांकि, नेशनल मेडिकल कमीशन के मुताबिक इन स्टूडेंट्स को स्क्रीनिंग टेस्ट विनियम 2002 के अन्य मानदंड पूरे करने होंगे.
यूक्रेन से मिलेगी डिग्री
यूक्रेन की कुछ मेडिकल यूनिवर्सिटीज ने विदेशी छात्रों को मोबिलिटी या ट्रांसफर प्रोग्राम लेने के लिए कहा था. इसके बाद राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने विदेश मंत्रालय की सलाह पर यह फैसला लिया है. जारी सूचना में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने इसे टेम्परेरी रिलोकेशन कहा है. इसका मतलब यह है कि स्टूडेंट्स को डिग्री यूक्रेन की यूनिवर्सिटी द्वारा ही दी जाएगी.
प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में सीट देने की मांग
आपको बता दें कि अपने भविष्य को अधंकार में जाते देख यूक्रेन से लौटे छात्रों ने अस्थायी समाधान के रूप में देश के प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में सीट देने जाने की मांग की थी. हालांकि, नेशनल मेडिकल कमीशन या स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से इस पर कोई प्रतिक्रिया अब तक नहीं आई है. वहीं, इससे पहले के नियमानुसार आयोग ने कहा था कि कोर्स के दौरान पूरे पाठ्यक्रम का प्रशिक्षण, इंटर्नशिप या क्लर्कशिप एक ही फॉरेन मेडिकल इंस्टीट्यूट से पूरी की जाएगी.
दो साल की होगी इंटर्नशिप
नेशनल मेडिकल कमीशन ने 23 जून को एक हलफनामे में कहा था कि फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएशन परीक्षा पास करने पर ऐसे फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट को मौजूदा नियम के मुताबिक एक साल के बजाय दो साल के लिए कंपलसरी रोटेटिंग मेडिकल इंटर्नशिप करना पड़ेगा. इस इंटर्नशिप के बाद ही फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट रजिस्ट्रेशन के लिए पात्र होंगे.
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