चार बहनों ने निभाया बेटों का फर्ज़… पिता की अर्थी कों दिया कंधा.. इस वजह से अंतिम संस्कार में भाई कों नहीं दिया आने.. जाने पूरी खबर..

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JHANSI UTTAR PRADESH : कहते हैं कि जो काम बेटे नहीं करते वह काम बेटियां करती हैं. समाज बेटे की चाहत करता है लेकिन बेटियां औलाद होने का पूरा फ़र्ज़ निभाती हैं.

झांसी के नवाबाद कोतवाली इलाके के डाडियापुरा गल्ला मंडी रोड के रहने वाले गौरेलाल साहू की कल शुक्रवर कों हार्ट- अटैक के चलते मौत हों गई. हैरानगी की बात यह है कि गौरेलाल का बेटा होते हुए भी उनके अंतिम संस्कार की सारी रस्मे और शमशान के विधिविधान के साथ अर्थी कों कन्धा भी उनकी चार बेटियों ने दिया. इतना ही नहीं बेटियों ने ही पिता कों मुखाअग्नि दी. चारों बहनो ने भाई कों पिता के पास आने तक नहीं दिया. उसको शमशान से दूर ही रहने दिया.

बताया जा रहा है कि पिता की मौत की खबर सुनकर चारों बेटियां शोभा लेखनी स्वाति और संगीता तुरंत अपने मायके आ गई और पिता के अंतिम संस्कार की सारी ज़िम्मेदारी खुद निभाई. और अर्थी कों कन्धा भी चारों ने लिया जिन्होंने यह देखा वो हैरान रह गया. शमशान पहुंचने के बाद बेटियों ने ही पिता कों मुख़ाअग्नि दी. और अंतिम संस्कार किया.

चारों बहनो में से एक संगीता साहू का कहना है कि पिता के साथ उनके भाई का व्यवहार अच्छा नहीं था वह पिता कों प्रताड़ित करता था. इसलिए हम चारों बहने पिता की देखभाल करते थे. भाई का पिता के साथ बर्ताव अच्छा नहीं था इसलिए हम बहनो ने यह तय किया कि पिता के शव कों भाई कों हाथ लगाने नहीं देंगे इसलिए अंतिम संस्कार की सारी विधि विधान हम बहनो ने निभाएं. जिसमें पिता के ज़िंदा रहते कुछ नहीं किया और उनके मरने के बाद उनका अंतिम संस्कार कैसे कर सकता है. इसलिए भाई और भाभी कों पिता के शव के पास आने भी नहीं दिया..

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