पूर्व CM हरीश रावत को सीबीआई का नोटिस_स्टिंग कांड फिर चर्चा में..

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उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता हरीश रावत को 2016 के चर्चित स्टिंग प्रकरण में एक बार फिर सीबीआई का नोटिस मिला है। यह स्टिंग उस समय चर्चा में आया था जब मुख्यमंत्री रहते रावत की कथित रूप से विधायकों के साथ “सत्ता बचाने की बातचीत” का वीडियो सामने आया था। मामले की जांच 2019 में सीबीआई को सौंपी गई थी और तब से यह प्रकरण समय-समय पर सुर्खियों में आता रहा है।

देहरादून: उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत को सीबीआई ने 2016 के चर्चित स्टिंग प्रकरण में नोटिस भेजा है। उन्होंने नोटिस मिलने की पुष्टि की है। साथ ही, उन्होंने अपना बयान दर्ज कराने के लिए अक्टूबर का समय मांगा है। हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर इस संबंध में जानकारी शेयर की। उत्तराखंड के सीनियर नेता को सीबीआई का नोटिस मिलने और उनकी प्रतिक्रिया ने एक बार फिर प्रदेश की राजनीति में हलचल तेज कर दी है।

क्या है मामला?
सीबीआई का यह नोटिस 2016 के उस स्टिंग ऑपरेशन से जुड़ा है जिसमें तब के मुख्यमंत्री हरीश रावत पर विधायकों के साथ बातचीत व अन्य संबंधित आरोपों से जुड़ा एक रिकॉर्डिंग फ़ैल हुआ था। उस मामले में बाद में सीबीआई जांच में जुटी थी और विभिन्न चरणों में समन/नोटिस जारी होते रहे हैं। पहले भी कभी-कभार रावत को इस मामले में सीबीआई की पूछताछ के लिए तलब किया जा चुका है।

हरीश रावत ने कसा तंज
नोटिस मिलने के बाद हरीश रावत ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि लंबे समय के बाद सीबीआई के दोस्तों को हमारी याद आई है। उन्होंने तंज भरे अंदाज में कहा कि जब भी चुनाव नजदीक आते हैं, मुझे सीबीआई का नोटिस मिलता है। आमतौर पर चुनाव से एक साल या उससे भी पहले। इस बार भी, जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, मुझे फिर से एक नोटिस मिला है। मैंने कहा कि मैं अक्सर कहता हूं कि अब मुझमें ताकत नहीं रही।

हरीश रावत ने आगे लिखा है कि लगता है सरकार और सीबीआई को अब भी मुझमें ताकत दिख रही है। इसीलिए उन्होंने मेरे घर नोटिस भेजा है। मैंने उनका धन्यवाद किया और कहा कि मैं जांच में शामिल होऊंगा। मैंने उन्हें यह भी बताया कि नोटिस में दी गई तारीख सुविधाजनक नहीं है, लेकिन अक्टूबर में जब भी वे बुलाएंगे, मैं पेश हो जाऊंगा।

अब आगे क्या होगा?
सीबीआई की प्रक्रिया के तहत अब एजेंसी यह सुनिश्चित करेगी कि हरीश रावत किस तारीख और किस रूप में हाजिर होंगे। सीबीआई संबंधित साक्ष्य, गवाहों और रिकॉर्डिंग से जुड़ी पूछताछ आगे करेगी। अगर आवश्यक समझा गया तो एजेंसी तिथियां और समन भी जारी कर सकती है। 2016 में सार्वजनिक हुए इस स्टिंग के बाद उत्तराखंड की राजनीति में भूचाल आया था।


घटना के बाद कई विधायकों के बगावत और दल-बदल के घटनाक्रम भी सामने आए। 2019 में सीबीआई ने यह मामला दर्ज किया। उसके बाद से इस प्रकरण में कानूनी कार्रवाई और सुनवाई चलती रही है।

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