लोकसभा में आज स्पीकर पद के चुनाव होने जा रहा है. बुधवार को लोकसभा स्पीकर पद के लिए चुनाव का गवाह बनेगी जो 1976 के बाद इस तरह का पहला मौका होगा. कांग्रेस सदस्य कोडिकुनिल सुरेश को एनडीए के उम्मीदवार ओम बिरला के खिलाफ विपक्ष का उम्मीदवार बनाया गया है।
स्वतंत्र भारत में लोकसभा स्पीकर पद के लिए केवल तीन बार 1952, 1967 और 1976 में चुनाव हुए. वर्ष 1952 में कांग्रेस सदस्य जी वी मावलंकर को लोकसभा स्पीकर के रूप में चुना गया था. लोकसभा स्पीकर पद पर चयन को लेकर सरकार और विपक्षी दलों के बीच सहमति नहीं बन पाई, जिस वजह से चुनाव की नौबत आ गई।
केंद्र में पीएम मोदी के नेतृत्व में लगातार तीसरी बार एनडीए सरकार के गठन के बाद सरकार और विपक्ष के बीच यह पहला शक्ति प्रदर्शन होने जा रहा है. इसलिए बीजेपी के रणनीतिकार अपने उम्मीदवार ओम बिरला को ज्यादा से ज्यादा सांसदों के समर्थन के साथ बड़ी जीत दिलवाने के मिशन में जुट गए हैं और इसकी कमान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्वयं संभाल ली है।
लोकसभा स्पीकर के लिए ओम बिरला और के सुरेश की टक्कर
एनडीए ने इस बार भी कोटा से सांसद ओम बिरला को उम्मीदवार बनाया है तो वहीं इंडिया गठबंधन की तरफ से के. सुरेश ने अपना नामांकन दाखिल किया. हालांकि विपक्ष के पास लोकसभा में पर्याप्त संख्याबल नहीं है।
संसद सत्र के दूसरे दिन लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए सरकार और विपक्ष के बीच आम सहमति नहीं बन पाई, नतीजतन अब स्पीकर पद के लिए चुनाव आज होना है. अब चुनाव के जरिए फैसला होगा कि नया स्पीकर कौन होगा?
विपक्ष ने की थी डिप्टी स्पीकर पद की मांग
संसद सत्र के दूसरे दिन विपक्ष ने डिप्टी स्पीकर पद की मांग की थी, जिस पर सरकार से सहमति नहीं बन सकी. इसलिए लोकसभा स्पीकर के लिए चुनाव की नौबत आ गई. हालांकि इससे पहले एनडीए और इंडिया गठबंधन में बातचीत का दौर चलता रहा।
लोकसभा स्पीकर उम्मीदवार का प्रस्ताव रखेंगे पीएम मोदी
बुधवार को लोकसभा की कार्यवाही शुरू होने पर सबसे पहले उन नवनिर्वाचित सांसदों का नाम पुकारा जाएगा, जिन्होंने अब तक संसद सदस्यता की शपथ नहीं ली. इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी सदन में नए लोकसभा अध्यक्ष के तौर पर ओम बिरला के नाम का प्रस्ताव रखेंगे और सभी दलों से उन्हें निर्विरोध सर्वसम्मति से चुनने का आग्रह करेंगे।
कागज की पर्चियों से हो सकती है वोटिंग
स्पीकर के नाम का प्रस्ताव ध्वनि मत से पारित किया जा सकता है. अगर विपक्ष वोटों के विभाजन पर जोर देता है, तो सांसदों को वोट देने के लिए कागज की पर्चियां बांटी जाएंगी, क्योंकि नए सांसदों को सीटें आवंटित नहीं की गई हैं. इसीलिए इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले सिस्टम का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
लोकसभा स्पीकर चुनाव का नंबर गेम
सदन में भाजपा समेत राजग के 293 सांसद हैं और विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के 233 सदस्य हैं. दो लोकसभा सीट से निर्वाचित हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी के केरल की वायनाड सीट से इस्तीफा दिए जाने के बाद सदन में कुल सदस्यों की संख्या 542 रह गई है. कम से कम तीन निर्दलीय सदस्य भी विपक्षी खेमे में माने जा रहे हैं।
गठबंधनों की अग्नि परीक्षा
18वीं लोकसभा में स्पीकर के चुनाव के बहाने विपक्षी गठबंधन- INDIA और सत्ताधारी गठबंधन- एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) की एकता की अग्निपरीक्षा भी होगी। जरूरत पड़ने पर मत विभाजन भी होगा। भाजपा ने ओम बिरला को प्रत्याशी बनाया है, जबकि उपाध्यक्ष (डिप्टी स्पीकर) पद के लिए आम सहमति न बनने की सूरत में विपक्ष ने आठ बार के कांग्रेस सांसद के सुरेश को प्रत्याशी बनाया है। भाजपा-कांग्रेस के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। एक-दूसरे के खेमे में सेंध लगाने की कोशिश भी हो सकती है।
भाजपा के सामने जहां हर हाल में जीत के इतर राजग में एकजुटता बनाए रखने की चुनौती है, वहीं कांग्रेस के सामने इंडिया ब्लॉक में शामिल दलों को एकसूत्र में बांधे रखने की। दोनों ही खेमे एकदूसरे के गठजोड़ में सेंध लगाने की कोशिश में भी जुट गए हैं।
संख्या बल की दृष्टि से भाजपा की अगुवाई वाले राजग को आरामदायक बहुमत हासिल है। राजग के पक्ष में 293 सांसद हैं जो जीत के लिए जरूरी संख्या से 21 ज्यादा हैं। भाजपा की चुनौती यह है कि मतदान के दौरान राजग में यह एकजुटता बनी रहे। एक भी दल का राजग उम्मीदवार से किनारा करना, गठबंधन में फूट पड़ने का संदेश देगा।
अमित शाह तैयार कर रहे रणनीति
राजग की ओर से रणनीति की कमान गृह मंत्री अमित शाह के हाथ में है। उन्होंने मंगलवार को राजग के सहयोगी दलों के नेताओं के साथ बैठक कर गठबंधन की एकता सुनिश्चित की। नेताओं को मतदान के नियम बताए गए और सभी सांसदों की हर हाल में उपस्थिति सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए हैं।
कांग्रेस के लिए एकता की चुनौती
कांग्रेस के सामने चुनौती विपक्षी गठबंधन में एकता कायम रखते हुए राजग में सेंध लगाने और निर्दलीय व दूसरे छोटे दलों के 13 सांसदों को अपने खेमे में लाने की है। तीन निर्दलीयाें पप्पू यादव, विशाल पाटील और मोहम्मद हनीफ के समर्थन के बाद विपक्षी गठबंधन के सांसदों की संख्या 235 हो गई है।
विपक्षी एकता पर सवाल के बीच नजरे टीएमसी पर..
18वीं लोकसभा का सत्र शुरू होने के साथ ही अब स्पीकर पद पर सबकी नजरें लगी हैं। आम सहमति न बनने के कारण विपक्षी गठबंधन- INDIA ने आठ बार के कांग्रेस सांसद के सुरेश को प्रत्याशी बनाया है। 25 जून को जब प्रत्याशी के नाम का एलान हुआ तो तृणमूल कांग्रेस की असहमति और कथित नाराजगी की बात सामने आई। हालांकि, कयासबाजी के बीच स्पीकर के चुनाव से ठीक एक दिन पहले के दिलचस्प वाकये में कथित तौर पर नाराज टीएमसी, कांग्रेस सुप्रीमो मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर आयोजित विपक्षी दलों की बैठक में शामिल हुई। ऐसे में अब नजरें तृणमूल कांग्रेस पर टिकी हैं। अब तृणमूल के सूत्रों ने कहा है कि बुधवार को इस संबंध में पार्टी स्पष्टीकरण जारी करेगी।
राहुल गांधी ने कहा- जय संविधान
इसके कुछ देर बात राहुल गांधी और अभिषेक बनर्जी को लोकसभा के भीतर एक दूसरे के साथ गुफ्तगू करते हुए देखा गया। जब राहुल गांधी सदन से बाहर आए तो उनसे पूछा गया कि क्या वह स्पीकर के मुद्दे पर टीएमसी के साथ कोई बात बनी? इसके जवाब में राहुल ने सिर्फ ‘जय संविधान’ कहा। बता दें कि सात बार के सांसद के. सुरेश को विपक्षी गठबंधन ने लोकसभा स्पीकर पद चुनाव के लिए अपना उम्मीदवार बनाया है।
राहुल गांधी होंगे लोकसभा में नेता विपक्ष
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी लोकसभा में विपक्ष के नेता होंगे. प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब को कांग्रेस की ओर से पत्र लिखकर इसकी सूचना दे दी गई है. राहुल गांधी को अब कैबिनेट रैंक का दर्जा मिलेगा।बताया जाता है कि ‘इंडिया’ गठबंधन के घटक दलों के नेताओं की बैठक में राहुल गांधी को लोकसभा में विपक्ष का नेता बनाए जाने का फैसला लिया गया।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के घर इंडिया अलायंस की बैठक हुई. जिसमें लगभग सभी पार्टी के नेता मौजूद थे. इसी में नेता प्रतिपक्ष को लेकर चर्चा हुई और फिर राहुल गांधी को इस पद की जिम्मेदारी दिए जाने को लेकर प्रोटेम स्पीकर को पत्र लिखा गया।
राहुल गांधी को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष नियुक्त करने के कांग्रेस के फैसले की जानकारी देते हुए पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने संवाददाताओं को बताया कि कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने पार्टी के इस फैसले के बारे में सूचित करते हुए लोकसभा के ‘प्रोटेम स्पीकर’ (अस्थायी अध्यक्ष) भर्तृहरि महताब को पत्र भेजा है।
राहुल गांधी के लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता बनने से कांग्रेस को नई दिशा और ऊर्जा मिलेगी. उन्हें INDIA अलायंस में सहयोगियों के साथ बेहतर तालमेल बिठाने में मदद मिलेगी. साथ ही लोकसभा में BJP पर विपक्ष के हमले का नेतृत्व करके कांग्रेस को भी एक मजबूत चेहरा मिलेगा।
10 सालों से खाली था नेता प्रतिपक्ष का पद
लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की अगुवाई वाले विपक्षी दलों के गठबंधन INDIA ने शानदार प्रदर्शन किया है. कांग्रेस को 99 सीटें मिली हैं. एक दशक के बाद विपक्ष के पास लोकसभा में कोई नेता होगा. ये पद 2014 से खाली पड़ा था. आखिरी बार सुषमा स्वराज 2009 से 2014 तक लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष थीं, लेकिन 2014 और 2019 के चुनावों में किसी भी विपक्षी दल के 54 सांसद नहीं जीते. नियमों के मुताबिक नेता प्रतिपक्ष बनने के लिए लोकसभा की कुल संख्या का 10% यानी 54 सांसद होना जरूरी है।
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