उत्तराखण्ड में नैनीताल के खूपी में भूस्खलन से घरों में दरारें आ गई हैं। भूस्खलन के खतरे से ‘लोगों का दिन का चैन और रातों की नींद हराम हो गई है’। प्रशासन ने ग्रामीणों की गुहार पर रोकथाम का प्लान बनाया है।
नैनीताल शहर के बेहद करीब बसे भूमियाधार गांव के बगल में खूपी गांव बसा है। यहां हर वर्ष बरसातों में भूस्खलन से मकानों में दरारें आ जाती हैं। भूस्खलन से इसके आसपास की पहाड़ियां भी कमजोर हो गई हैं। खूपी के नीचे बहने वाले बरसाती नाले ने जमीन को काट दिया है, जिससे पहाड़ी का ऊपरी हिस्सा बैठने लगा है।
खूपी गांव पिछले कुछ दशकों से प्रभावित हो गया है। भू-कटाव से कई घरों में बड़ी-बड़ी दरारें आ गई हैं। इससे गांव के अस्तित्व को भी खतरा हो गया है। बरसात होते ही गांव वाले रात को जाग जाग कर गुजार रहे हैं। ग्रामीणों ने प्रशासन से इन हालातों से बचाने की गुहार लगाई है।
उपजिलाधिकारी प्रमोद कुमार ने आज भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र का निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि गाँव की तलहटी में हो रहे कटाव के चलते कुछ घरों में दरारें आयी हैं।
प्रशासन ने सुरक्षा के मद्देनजर, इन मकानों को खाली करने को कहा है। उन्होंने मौके पर मौजूद सिचाईं विभाग के अधिकारियों को इसकी रोकथाम के लिए डी.पी.आर.बनाने के निर्देश दिए, ताकि भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र में काम शुरू किया जा सके।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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