उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने नैनीताल के बी.डी.पाण्डे अस्पताल में सुविधाओं की कमी संबंधी जनहितयाचिका में अस्पताल भूमि में हुए अतिक्रमण संबंधी सही जानकारी देने को कहा है। मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ को बताया गया कि अस्पताल की चार एकड़ भूमि में से एक एकड़ भूमि में कब्जा है।न्यायालय में मामले की सुनवाई अगले हफ्ते होने की उम्मीद है।
उच्च न्यायालय में आज नैनीताल निवासी याचिकाकर्ता अशोक साह ‘गुरुजी’ की स्थानीय बी.डी.पाण्डे अस्पताल में सुविधाओं को लेकर एक जनहित याचिका में सुनवाई हुई। खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद सरकार से अस्पताल की भूमि और उसपर हुए कब्जे की विस्तृत जानकारी देने को कहा है। मामले के अनुसार बी.ड़ी.पांडे जिला पुरुष चिकित्सालय में कई स्वास्थ्य सुविधाओ का अभाव होने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई।
जिले का मुख्य हॉस्पिटल होने के कारण अभी भी हॉस्पिटल के कर्मचारियों के द्वारा छोटी सी जांच करने के लिए सीधे हल्द्वानी भेज दिया जाता है। याचिकाकर्ता का कहना था कि हॉस्पिटल में जिले से इलाज कराने के लिए दूर दूर से मरीज आते हैं लेकिन उनकी जांच करके हायर सेंटर रेफर कर दिया जाता है। ‘गुरुजी’ ने उच्च न्यायलय की खण्डपीठ से प्राथर्ना की है कि इस हॉस्पिटल में सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं, जिससे की स्थानीय और दूरदराज से आने वाले लोगों को सही समय पर इलाज मिल सके।
पूर्व में उच्च न्यायलय ने वरिष्ठ अधिवक्ता वी.के.कोहली, पूर्व बार महासचिव विकास बहुगुणा और याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अकरम परवेज से औचक निरीक्षण कर 3 अगस्त को रिपोर्ट पेश करने को कहा था। आज मामले में
रिपोर्ट आने के बाद न्यायालय अस्पताल की एक एकड़ भूमि में अतिक्रमण की जानकारी से नाराज हो गया।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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