सीएम धामी ने NITI आयोग की बैठक में उठाए जल प्रबंधन और कृषि विकास के मुद्दे


प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आयोजित नीति आयोग की शासी परिषद की बैठक में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड की आवश्यकताओं पर दिया जोर
राज्य में शहरी ड्रेनेज प्रणाली, लिफ्ट इरिगेशन, पर्यावरणीय समन्वय और आत्मनिर्भरता पर रखे महत्वपूर्ण सुझाव
नई दिल्ली, शनिवार — प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित नीति आयोग की शासी परिषद की दसवीं बैठक में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य की विविध समस्याओं, विकास योजनाओं और भावी संभावनाओं पर केंद्र सरकार का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने उत्तराखंड की भौगोलिक और सामाजिक विशिष्टताओं को रेखांकित करते हुए नीति निर्माण में इनका समुचित ध्यान रखने की आवश्यकता पर बल दिया।
शहरी ड्रेनेज प्रणाली के लिए राष्ट्रीय योजना की मांग
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि उत्तराखंड में शहरीकरण की गति तेज है, जिससे शहरी क्षेत्रों में जल निकासी एक गंभीर चुनौती बनती जा रही है। उन्होंने नीति आयोग से आग्रह किया कि राष्ट्रीय स्तर पर टिकाऊ और दीर्घकालिक समाधान हेतु ड्रेनेज प्रणाली विकसित करने के लिए विशेष योजना तैयार की जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि जलभराव और गंदगी से उत्पन्न हो रही समस्याओं के समाधान के लिए यह एक अनिवार्य कदम है।
लिफ्ट इरिगेशन को पीएम कृषि सिंचाई योजना में शामिल करने का अनुरोध
उत्तराखंड के पर्वतीय भूभाग में सिंचाई एक बड़ी चुनौती है। मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य के केवल 10 प्रतिशत क्षेत्र में ही सिंचाई संभव हो पा रही है। उन्होंने मांग की कि “प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना” की गाइडलाइन्स में लिफ्ट इरिगेशन को सम्मिलित किया जाए, जिससे पर्वतीय क्षेत्रों में जल स्रोतों से ऊपर बसे खेतों तक पानी पहुंचाया जा सके। साथ ही, उन्होंने “नदी जोड़ो परियोजना”, चेक डैम और लघु जलाशयों के निर्माण को बढ़ावा देने के प्रयासों की जानकारी दी।
महाकुंभ और राजजात यात्रा के लिए केंद्र से सहयोग की मांग
मुख्यमंत्री ने आगामी दो बड़े धार्मिक आयोजनों — वर्ष 2026 में “मां नन्दा राजजात यात्रा” और वर्ष 2027 में हरिद्वार कुंभ — के भव्य और दिव्य आयोजन के लिए केंद्र सरकार से सहयोग की अपेक्षा जताई। उन्होंने कहा कि ये आयोजन राज्य की संस्कृति, धार्मिक पर्यटन और वैश्विक पहचान को बढ़ावा देंगे।
डेमोग्राफिक डिविडेंड और स्वरोजगार पर विशेष जोर
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि अगले दस वर्ष राज्य के लिए डेमोग्राफिक डिविडेंड प्राप्त करने का सुनहरा अवसर हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस दिशा में स्वरोजगार को बढ़ावा देने हेतु कई योजनाएं चला रही है, जिससे युवाओं को रोजगार के अवसर उनके ही गृह क्षेत्र में मिल सकें।
कृषि क्षेत्र में हाई वैल्यू फसलों को बढ़ावा
उन्होंने बताया कि प्रदेश की जीडीपी में प्राथमिक सेक्टर का योगदान 9.3 प्रतिशत है, जबकि इसमें 45 प्रतिशत जनसंख्या संलग्न है। इस असंतुलन को दूर करने के लिए राज्य सरकार “हाई वैल्यू एग्रीकल्चर” को बढ़ावा दे रही है। इसके अंतर्गत एप्पल मिशन, कीवी मिशन, ड्रैगन फ्रूट मिशन, मिलेट मिशन और सगंध कृषि को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
आर्थिक प्रबंधन और सुशासन में उत्तराखंड की उपलब्धियाँ
मुख्यमंत्री ने बताया कि वित्तीय अनुशासन के तहत राज्य की अर्थव्यवस्था में पिछले तीन वर्षों में लगभग डेढ़ गुना की वृद्धि हुई है। नीति आयोग की 2023-24 की एसडीजी रैंकिंग में उत्तराखंड ने पहला स्थान प्राप्त किया है, जबकि “केयरऐज रेटिंग रिपोर्ट” में वित्तीय प्रबंधन में छोटे राज्यों की श्रेणी में दूसरा स्थान मिला है।
समान नागरिक संहिता का क्रियान्वयन और रोजगार के अवसर
प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में राज्य में समान नागरिक संहिता (UCC) को लागू किया गया, जो देश में एक महत्वपूर्ण कानूनी परिवर्तन है। साथ ही, पिछले साढ़े तीन वर्षों में 23,000 से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरी मिली है, जिससे रोजगार के क्षेत्र में सकारात्मक संकेत मिले हैं।
हरित राष्ट्रीय खेल और पर्यावरणीय प्रयास
राज्य में आयोजित 38वें राष्ट्रीय खेलों को “ग्रीन गेम्स” की थीम पर आधारित किया गया। खेलों में 4000 पदक ई-वेस्ट से तैयार किए गए और समस्त ऊर्जा आवश्यकताएं सौर ऊर्जा से पूरी की गईं। इससे अनुमानित 4000-5000 टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को रोका गया।
पर्यटन, नवाचार और पर्यावरणीय संतुलन
मुख्यमंत्री ने साहसिक पर्यटन, इको टूरिज्म और हाई-एंड टूरिज्म को बढ़ावा देने हेतु बनाई गई नीतियों और जमीनी स्तर पर चल रहे कार्यों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में नवाचार और प्रौद्योगिकी आधारित सतत एवं समावेशी विकास को प्राथमिकता दी जा रही है। जीडीपी की तर्ज पर “ग्रॉस एनवायरनमेंट प्रोडक्ट इंडेक्स” (GEP) की शुरुआत की गई है, जिससे आर्थिक विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन का आकलन किया जा सकेगा।
नवीन ऊर्जा योजनाएं और स्वरोजगार के अवसर
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार शीघ्र ही “जियोथर्मल ऊर्जा नीति” लागू करने जा रही है। “मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना” के तहत लाभार्थियों को मासिक एक लाख रुपये तक की आमदनी हो रही है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिल रहा है।
इस तरह मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नीति आयोग की इस महत्वपूर्ण बैठक में उत्तराखंड की प्राथमिकताओं, समस्याओं और उपलब्धियों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करते हुए केंद्र सरकार से समुचित सहयोग का आग्रह किया।


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