उत्तराखंड : चमोली जिले के थराली तहसील के पैनगढ़ गांव में पहाड़ी से हुए भूस्खलन के चलते तीन मकान जमीदोंज हो गए है. मलबे में दबने से चार लोगों की मौत हो गई जबकि एक को हायर सेंटर रेफर किया गया है. यह घटना रात करीब डेढ़ बजे की बताई जा रही है जब लोग गहरी नींद में सो रहे थे. एनडीआरएफ ने मौके पर पहुंच कर राहत और बचाव कार्य शुरू किया .शुक्रवार देर रात भूस्खलन हो गया। पहाड़ी से आए बड़े पत्थर की चपेट में आने से तीन घर क्षतिग्रस्त हो गए। इस दौरान एक ही परिवार के चार लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। वहीं एक घायल का अस्पताल में इलाज चल रहा है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घटना पर दुख व्यक्त किया
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी इस घटना पर दुख व्यक्त किया है। उन्होंने मृत लोगों की आत्मा की शांति की प्रार्थना की और उनके स्वजनों को इस दुख को सहन करने की शक्ति देने की बात कही।
जानकारी के मुताबिक थराली ब्लाक के पैनगढ़ गांव में भूस्खलन के कारण पहाड़ से एक बहुत बड़ा पत्थर मकान से टकरा गया था जिससे तीन मकान पूरी तरह से ध्वस्त हो गए, मलबे में पांच लोग दबे गए थे।
भूस्खलन के कारण तीन मकानों को नुकसान
एसडीआरएफ रेस्क्यू टीम द्वारा त्वरित कार्रवाई करते हुए एक घायल व्यक्ति को क्षतिग्रस्त लेंटर के नीचे से रेस्क्यू कर तत्काल अस्पताल भेजा गया। जबकि एक व्यक्ति लेंटर के नीचे दबा हुआ था, जिसे निकालने हेतु टीम प्रयासरत रही।
महिला की घटनास्थल पर ही मृत्यु हो गई
भूस्खलन के कारण तीन मकानों को नुकसान पहुंचा है। वहीं एक ही परिवार के चार लोगों की मौत हो गई है। चारों के शव बरामद कर लिए गए हैं। वहीं कर्णप्रयाग उप जिला चिकित्सालय में एक घायल का इलाज चल रहा है।
मृतकों का नाम :
- बंचुली देवी
- घनानंद
- देवानन्द
- सुनीता
- योगेश घायल है। उसका इलाज चल रहा है।
कैसे हुआ हादसा?
थराली विधानसभा के अंतर्गत पैनगढ़ गांव में पहाड़ी से आए भूस्खलन ने जमकर कहर बरपाया जिसमें तीन मकान मलबे में दब गए. घरों में सो रहे पांच लोगों के मलवे में दब जाने से एक महिला की घटना स्थल पर ही मौत हो गई जबकि तीन लोगों ने अस्पताल ले जाते हुए दम तोड़ा. घटना में मृतक चारों लोग एक ही परिवार के रहने वाले बताए जा रहे है . जबकि एक बच्चे को हायर सेंटर रेफर किया गया है . बताया जा रहा है कि ये सभी लोग देहरादून से दीपावली मनाने गांव आये थे . ग्रामीणों ने इस पूरी घटना का जिम्मेदार प्रशासन को ठहराया है.
ग्रामीणों ने विस्थापन की मांग की थी
ग्रामीणों ने कहा कि बीते कई समय से गांव के ऊपर भूस्खलन हो रहा है. ग्रामीणों ने विस्थापन की मांग भी की लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गई .ग्रामीण मधुसूदन पुरोहित की माने तो 2013 में प्रशासन को इसके बारे में जानकारी दी गई थी , लेकिन शासन उस वक्त नहीं जागा. इसके बाद अब 10 साल बाद इतना बड़ा हादसा हो गया है. अभी भी इन मकानों क ऊपर बहुत बड़ी दरारें हैं. अगर भू वैज्ञानिकों द्वारा सर्वे किया जाए, तो ये पूरा स्पॉट खतरे से खाली नहीं है. अगर अभी शासन इन परिवारों की सुध नहीं लेता है और इन परिवारों को अभी भी विस्थापित नहीं करते हैं तो सारी गलती शासन-प्रशासन की मानी जाएगी.
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