भाजपा ने सभी को चौंकाते हुए तीसरी बार हरियाणा में सरकार बनाने के लिए निर्णायक बढ़त बना ली है. चुनाव आयोग के अनुसार, अभी तक के मतगणना के अनुसार, हरियाणा चुनाव में भाजपा को 39.82 प्रतिशत, कांग्रेस को 39.65, आप को 1.76, जेजेपी को 0.89, आईएलडी को 4.32 प्रतिशत मिले हैं. साफ जाहिर है कि भाजपा और कांग्रेस के मतों में ज्यादा का अंतर नहीं है, लेकिन भाजपा फिर भी 50 सीटों के आंकड़े को छूने की तरफ बढ़ रही है।
खेल कैसे पलटा – भाजपा बाज़ीगर
हरियाणा में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों का आज ऐलान हो रहा है। चुनाव में बीते दस साल से हरियाणा की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला हुआ है। 90 सदस्यीय विधानसभा की ज्यादातर सीटों पर भाजपा और कांग्रेस कैंडिडेट आमने-सामने रहे हैं।
एग्जिट पोल और चुनावी पंडितों की भविष्यणावियों को झुठलाते हुए बीजेपी राज्य में पूर्ण बहुमत हासिल करने की ओर बढ़ रही है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि बीजेपी ने बाजी को अपने पक्ष में कैसे किया।
हरियाणा के चुनाव में छत्तीस जातियों की बात हमेशा होती है, छत्तीस जातियां मिलकर ही हरियाणा की सामाजिक संरचना बनाती हैं। चुनाव में भी सभी पार्टियां जातिगत समीकरणों पर भरोसा करती रही हैं। इस चुनाव की बात करें तो कांग्रेस मुख्य रूप से जाटों पर निर्भर दिखी, जो आबादी का करीब 22 फीसदी हिस्सा है।
इसकी वजह किसान आंदोलन के बाद जाटों की भाजपा से नाराजगी भी रही। वहीं करीब 21 फीसदी दलित और अल्पसंख्यक वोटों (मुस्लिम और सिख) पर कांग्रेस की निगाह रही।
कांग्रेस जहां जाट-दलित समीकरण बनाती दिखी तो दूसरी ओर भाजपा ने गैर-जाटों, मुख्य रूप से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को एकजुट करने पर ध्यान केंद्रित किया। हरियाणा में ओबीसी की आबादी करीब 35 फीसदी है। भाजपा ने अपने परंपरागत सवर्ण वोट के साथ गैर जाट वोटों को साधा। साथ ही कई अभियान चलाकार अनुसूचित जाति तक भी पहुंचने की कोशिश की और कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया। इसने भाजपा को सीधा फायदा पहुंचाया और हरियाणा में हैट्रिक के करीब पहुंचा दिया।
जम्मू कश्मीर में NC-कांग्रेस का परचम
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के रुझानों में नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) और कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनती नजर आ रही है। गठबंधन 48 सीटों पर आगे चल रहा है। जिसमें से नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 36 सीटें जीत ली हैं। वहीं कांग्रेस को 6 सीटों पर जीत मिली।
वहीं 29 सीटों पर आगे चल रही भाजपा 26 जीत चुकी है। पीडीपी को 3 सीट मिली। एक-एक सीट आम आदमी पार्टी और जेपीसी के खाते में आई। 7 सीटों पर निर्दलीय बढ़त बनाए हुए हैं, इसमें से 6 उम्मीदवार जीत चुके हैं। 90 सीटों वाली विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 46 है।
इस बीच, नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा- उमर अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के अगले CM होंगे। उमर अब्दुल्ला दो सीट पर चुनाव लड़े। बडगाम में उन्हें जीत मिली, गांदरबल पर आगे चल रहे हैं।जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती श्रीगुफवारा-बिजबेहरा सीट से हार गईं। उन्होंने कहा- मैं लोगों के फैसले को स्वीकार करती हूं। उधर भाजपा अध्यक्ष रविंद्र रैना नौशेरा सीट से हार गए हैं।
वहीं हरियाणा विधानसभा चुनाव नतीजों के रुझानों में भाजपा को बहुमत मिलता दिख रहा है, जबकि कांग्रेस 35 सीटों पर आगे है। कुल 90 सीटों में से भाजपा अभी 50 सीटों पर आगे है। लेकिन पिक्चर अभी बाकी है। ऐसा इसलिए, क्योंकि चुनाव आयोग की वेबसाइट के अनुसार, 13 सीटें ऐसी हैं जहां कांग्रेस काफी कम वोटों से पीछे है।
हरियाणा में भाजपा ने 50 सीटों पर बढ़त बनाकर 46 के बहुमत के आंकड़े को पार कर लिया और अपनी बढ़त बनाए रखी है, जबकि कांग्रेस 35 पर है। चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध नवीनतम रुझानों के अनुसार निर्दलीय चार सीटों पर आगे चल रहे हैं, जबकि भारतीय राष्ट्रीय लोकदल (आईएनएलडी) और बीएसपी एक-एक सीट पर आगे हैं।
आम आदमी पार्टी और जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) अभी भी बढ़त हासिल नहीं कर पाई है। प्रमुख निर्दलीय उम्मीदवारों में हिसार से सावित्री जिंदल, बहादुरगढ़ से राकेश जून, अंबाला कैंट से चित्रा सरवारा और गन्नौर से देवेंद्र कादियान शामिल हैं।
हरियाणा में अगर कांग्रेस के अलावा दूसरे दलों की बात की जाए तो इनेलो-बसपा गठबंधन और जेजेपी-असपा गठबंधन भी मुकाबले में था। दोनों ही गठबंधन बहुत बड़ा फर्क पैदा करने में नाकाम रहे लेकिन ये भी दिलचस्प बात है कि ये दोनों ही गठबंधन दलित और जाटों के भरोसे थे। जेजेपी और इनेलो जाटों पर तो असपा और बसपा दलितों पर निर्भर पार्टियां हैं। ऐसे में करीबी मुकाबलों वाली सीटों पर ये गठबंधन भाजपा के बजाय कांग्रेस के लिए ही नुकसानदेह साबित हुए। इससे कहीं ना कहीं भाजपा को फायदा हुआ और कांग्रेस को नुकसान हुआ।
हरियाणा में 2019 के चुनाव में 10 सीटें जीतने वाली जेजेपी इस बार जीरो पर सिमट गई है। वहीं हरियाण के दो पड़ोसी राज्यों में सरकार रखने वाली आम आदमी पार्टी भी हरियाणा में कोई सीट नहीं जीत सकी है। हरियाणा में भाजपा और कांग्रेस के बाद सबसे ज्यादा चार सीटों पर निर्दलीय आगे हैं। बसपा और इनेलो एक-एक सीट पर आगे हैं।
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