बिहार के बेगूसराय में होली के दिन एक 7 साल की बच्ची का रेप हुआ. उसके साथ मौजूद एक 9 साल की बच्ची का गाल दांतों से काटा गया. दोनों बच्चियां गंभीर रूप से घायल हैं, उनका अस्पताल में इलाज चल रहा है. इस मामले में एक आरोपी जिसकी उम्र 35 साल के करीब है, पुलिस ने उसी दिन गिरफ्तार कर लिया था. तीन बच्चों का बाप है. नाम है, सोहन कुमार उर्फ छोटू. इस मामले में पीड़ित परिवार ने सोहन कुमार सहित चार लोगों के खिलाफ केस दर्ज कराया है. पुलिस ने एक और आरोपी को पकड़ लिया है, वहीं बाकी दो आरोपियों की तलाश जारी है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक घटना बेगूसराय के साहेबपुर कमाल थाना क्षेत्र में आने वाले एक गांव की है. दोनों बच्चियां होली के दिन दोपहर में कुछ सामान खरीदने गई थीं. लौटते वक्त दोनों गांव के ही सरकारी स्कूल में झूला झूलने के लिए रुक गई थीं. इस दौरान आरोपी छोटू कुमार उन्हें स्कूल के बाथरूम में ले गया. आरोपी ने अपने दांत 9 साल की बच्ची के गाल पर गड़ा दिए थे. वो बच्ची घायल हालत में किसी तरह वहां से भागी, लेकिन दूसरी बच्ची जो 7 साल की है, वो नहीं भाग पाई.
7 साल की बच्ची का रेप कर आरोपी ने उसे जंगल में फेंक दिया. वहीं 9 साल की बच्ची भागते हुए अपने परिवार के पास पहुंची और सबको घटना के बारे में बताया. परिवार और गांव वाले जब स्कूल पहुंचे तो जंगल में 7 साल की मासूम को पड़ा हुआ पाया. घटना की जानकारी पुलिस को दी गई. मौके पर पहुंची पुलिस ने छानबीन की और उसी दिन आरोपी सोहन कुमार को गिरफ्तार कर लिया था.
बेगूसराय पुलिस के मुताबिक गिरफ्तारी के दौरान आरोपी सोहन शराब के नशे में पाया गया था. पुलिस की ओर से जारी प्रेस रिलीज के मुताबिक इस मामले में पीड़ित परिवार ने सोहन कुमार सहित चार युवकों को आरोपी बताया है.
इंसान या हैवान आपकी रूह कांप जाएगी
बिहार के बेगूसराय के सदर अस्पताल में एक बेड पर एक मासूम बच्ची है, तो उसके ठीक बगल वाली बेड पर उसकी 10 साल की दोस्त भर्ती है.
उसका पूरा चेहरा सफ़ेद पट्टी से ढंका है. उसके चेहरे पर जगह-जगह चोट के निशान हैं और उसका गाल काट दिया गया है.
गाल इतना गहरा काटा गया है कि अस्पताल में उसकी तीमारदारी में लगी उनकी मां बताती हैं, “गाल ऐसे काटा की उनका दांत तक दिखना शुरू हो गया था. डॉक्टर ने कहा टांके नहीं लगा सकते, घाव अपने आप ही भरेगा.”
सदर अस्पताल की डॉ आशा कुमारी ने बच्चियों का चिकित्सीय परीक्षण किया है. मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा, “छह साल की बच्ची के साथ बलात्कार के साक्ष्य हैं जबकि दूसरी बच्ची का गाल ऐसे काटा है जैसे किसी कुत्ते ने इंसान को काटा हो.”
दोनों बच्चियां बिहार के बेगूसराय ज़िले के साहेबपुर कमाल प्रखंड की अल्पसंख्यक समुदाय से ताल्लुक रखने वाली बच्चियां हैं.
उन दोनों के साथ ये घटना अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन दोपहर में घटी. उस दिन होली भी मनाई जा रही थी.
सदर अस्पताल में भर्ती बच्ची उस दिन की पूरी घटना टुकड़ों-टुकड़ों में बताने की कोशिश करती है, ऐसा करते हुए बीच-बीच में वो खुद सिहर उठती है.
वो कहती है, “हम लोग गांव के ही सरकारी स्कूल में झूला झूलने गए थे. स्कूल के मैदान में पहले से ही चार लोग थे जिसमें से सोहन कुमार (उर्फ़ छोटू महतो) हम लोगों के पास आया और हमें दबोचने लगा. हम लोग वहां से भागने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन वो लोग हमें बार-बार पकड़ लेते थे और हमारे चेहरे को दीवार पर रगड़ देते थे. बाद में उसने सहेली की पैंट खोल दी और अपनी पैंट भी खोल दी. मैं इस बीच उसको नोंचकर भागी.”सड़क के ठीक किनारे बने राजकीय कृत मध्य विद्यालय के बालक शौचालय में घटना के निशान अभी भी मौजूद है. शौचालय में होली के मौक़े पर मिली पूड़ियों के टुकड़े और ख़ून के धब्बे दोनों सूख चुके हैं. दोनों बच्चियों की चप्पलें अभी भी वहां मौजूद हैं.
बेटी को पहले से ही बात करने में दिक्कत पेश आती थी, इस घटना के बाद से वो बिल्कुल चुप हैं. उसके कपड़ों पर ख़ून के निशान लगातार बन रहे हैं और खाने के लिए दी जाने वाली हर चीज़ को वो अपनी ‘सीमित शक्ति’ से उठाकर फेंक देती है.उसकी मां बताती हैं, “मेरे सात बच्चों में ये अकेली लड़की है. दिनभर घूमती-टहलती थी. कुछ बनाकर रख दो, तो कूद-कूद कर खा लेती थी. हम लोग मांग कर खाने वाले लोग हैं.
उस दिन भी बच्चियों के पास मांगी हुई पूड़ियां थी. हम भी पूड़ी मांग कर वापस लौट रहे थे जब किसी ने बताया कि तुम्हारी बेटी को मारकर फेंक दिया है. उसके बाद मैं उसे डॉ मुस्तफ़ा के यहां ले गई.” डॉ मुस्तफ़ा उसी गांव के ग्रामीण चिकित्सक हैं जहां दोनों बच्ची हो का परिवार रहता है. निशा और कविता के परिवार वाले उन्हें लेकर सबसे पहले डॉ मुस्तफ़ा के पास ही गए थे.
मुस्तफ़ा ने बताया, “मेरे पास ये दोनों बच्चियां बुरी हालत में लाई गईं थीं. जिसका गाल काटा उसका तो दांत तक दिखने लगा था और दूसरी को लगातार ब्लीडिंग हो रही थी. मैंने तुरंत पुलिस को इसकी सूचना दी. दस मिनट के भीतर पुलिस आ गई और बच्चियों को अस्पताल ले गई. अगर ऐसा नहीं होता तो यह बच्ची ज़िंदा नहीं बच पाती।
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