बड़ा घोटाला_7375 पिलर्स गायब : वन अधिकारियों की संपत्ति जांच के आदेश, केंद्र- राज्य को नोटिस

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उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने लापता हुए 7375 सीमा पिलर्स(खंबे)की जांच और वन अधिकारियों की संपत्ति की जांच के नोटिस दिए हैं। न्यायालय ने सी.बी.आई., केंद्र सरकार और उत्तराखंड सरकार को भी नोटिस जारी किए हैं।


उच्च न्यायालय ने लापता हुए 7375 सीमा स्तंभों की जांच करने के लिए सी.बी.आई., केंद्र सरकार, उत्तराखंड सरकार, भारतीय सर्वेक्षण विभाग तथा केंद्रीय सशक्त समिति(सी.ई.सी.)को मसूरी वन प्रभाग में पिछले कुछ वर्षों से तैनात क्षेत्रीय वन अधिकारियों की संपत्ति में कथित रूप से तेजी और असामान्य वृद्धि की जांच के लिए नोटिस जारी किए हैं।

न्यायालय ने छह सप्ताह में काउंटर एफिडेविट दखिल करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 11 फरवरी 2026 के लिए तय की गई है। सुनवाई के दौरान न्यायालय ने इतनी बड़ी संख्या में सीमा स्तंभों के लापता होने पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की।


मामले के अनुसार, पर्यावरण मित्र नरेश चौधरी की ओर से याचिका दायर कर कहा गया कि भारतीय सर्वेक्षण विभाग को निर्देश देने की मांग की गई है कि वह मसूरी वन प्रभाग के अंतर्गत आने वाले सभी वन क्षेत्रों की सीमाओं का व्यापक, वैज्ञानिक एवं जियो-रीफरेस्ड सर्वेक्षण कराए, ताकि सभी लापता सीमा स्तंभों के सही स्थानों का निर्धारण किया जा सके।

उन्हें समयबद्ध तरीके से फिर से स्थापित किया जा सके। याचिका में मसूरी वन प्रभाग के प्रभावित क्षेत्रों के लिए पुनर्स्थापन पुनर्वास एवं पुनरुद्धार योजना को लागू करने तथा राज्य में वर्तमान में राजस्व अधिकारियों के अधीन या उनके नियंत्रण में रखी गई समस्त वन भूमि को एक निर्धारित अधिकतम समय-सीमा के भीतर वन विभाग को हस्तांतरित किए जाने के लिए आवश्यक निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है।

यह मामला वर्ष 2023 में सामने आया था जब तत्कालीन मुख्य वन संरक्षक (वर्किंग प्लान)संजीव चतुर्वेदी ने मसूरी वन प्रभाग के सभी सीमा स्तंभों का सर्वेक्षण कराने के आदेश दिए। तब मसूरी वन प्रभाग के लिए नई कार्ययोजना तैयार करने की प्रक्रिया चल रही थी। तत्कालीन प्रभागीय वनाधिकारी मसूरी की रिपोर्ट में यह गंभीर तथ्य सामने आया कि वन विभाग के कुल 12,321 सीमा पिलर्स में से 7375 पिलर मौके पर से लापता हैं।


यह भी पाया गया कि इन लापता सीमा स्तंभों में से लगभग 80 प्रतिशत केवल दो रेंज, मसूरी रेंज और रायपुर रेंज में स्थित थे। ये दोनों ही रेंज रियल स्टेट के दृष्टिकोण से अत्यंत लाभकारी मानी जाती हैं, जहां होटल, रिसॉर्ट तथा आवासीय परिसरों के विकास की व्यापक संभावनाएं हैं। जून और अगस्त 2025 में संजीव चतुर्वेदी ने उत्तराखंड के वन प्रमख (हॉफ) को पत्र लिखकर इस प्रकरण की जांच सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को सौंपे जाने का अनुरोध किया।

पत्रों में संबंधित अधिकारियों की संपत्तियों की जांच की मांग भी की गई, जिनमें संबंधित क्षेत्रीय वन अधिकारियों के नाम पर भारी मात्रा में अचल संपत्तियों के संचय का उल्लेख किया गया था।


अगस्त 2025 में केंद्र सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय ने भी उत्तराखंड सरकार को इस प्रकरण की जांच एवं आवश्यक कार्रवाई के लिए पत्र लिखा। पत्र में वन संरक्षण अधिनियम, 1980 के प्रावधानों के उल्लंघन से संबंधित मामलों पर जांच कर उचित कदम उठाने का आग्रह किया गया था।

वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती

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