पॉक्सो केस में बड़ा फैसला – हाईकोर्ट ने बुजुर्ग को उम्र कैद की सजा से मुक्त किया

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उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने पॉक्सो के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे बुजुर्ग को बाइज्जत बरी करने के आदेश दिए हैं। न्यायमूर्ति रविन्द्र मैठाणी और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने आठ वर्षीय मासूम से दुराचार के जुर्म में निचली अदालत से आजीवन कारावास की सजा मिलने के बाद बुजुर्ग को गवाहों के विरोधाभासी बयानों के आधार पर ये निर्णय सुनाया।


मामले के अनुसार, यू.एस.नगर के दिनेशपुर निवासी अमल बढोही को पॉक्सो एक्ट में आजीवन कारावास की सजा मिली थी। उन्होंने, उच्च न्यायालय में सजा को चुनौती दी। अमल के खिलाफ 2016 में एक बुजुर्ग महिला ने अपनी पुत्री और 8 वर्षीय नातिन के साथ दुराचार करने की शिकायत की थी, जिसके आधार पर आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था और वह गिरफ्तार कर लिया गया था।

तब अमल की उम्र लगभग 68 वर्ष थी। इस मामले की गवाही के दौरान शिकायतकर्ता बुजुर्ग महिला सहित अन्य गवाह अपने आरोपों से मुकर गए थे, लेकिन 8 वर्षीय पीड़िता के बयानों और मैडिकल रिपोर्ट के आधार पर निचली अदालत ने आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।


इस मामले में आरोपी अमल की ओर से न्यायालय को बताया गया कि इस कथित घटना की रिपोर्ट 42 दिन बाद दर्ज हुई और उसके 52 दिन बाद पीड़िता के 164 के बयान दर्ज हुए। बाद में बुजुर्ग महिला, उसकी पुत्री दुराचार के आरोपों से मुकर गए ।


इन तथ्यों के आधार पर आज न्यायालय ने आरोपी को निर्दोष ठहराते हुए बरी करने का आदेश दिया है ।

वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती

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