उत्तराखण्ड में भीमताल के हिंसक वन्यजीव प्रभावित अलचौना और ताडा गांव में हमलावर नरभक्षी की पहचान तो दूर उसकी लोकेशन और पगमार्क समेत स्टूल/यूरिन तक वन विभाग को नहीं मिल सकी है। गांव में भय के माहौल के बीच अकेले घर वाले लोग पलायन करने लगे हैं।
नैनीताल जिले में भीमताल के तोक ताडा और अलचौना में युवती के तीसरे शिकार के बाद एक डर भरी शांति है। दिन के समय से ही सुनसान पड़े गांव के लोग गांव में किसी अनजान व्यक्ति के आने के बाद, हिंसक वन्यजीव को पकड़कर कब्जे में लेने की उम्मीद करने लगते हैं। इक्का दुक्का बार वहां वन कर्मी भी दिख रहे हैं।
नरभक्षी घोषित हिंसक वनजीव के लिए लाया गया पिंजरा सडक में ही रखे रहने से लोग नाराज हैं। घर दूर दूर होने से लोग अपने मवेशियों को ट्रक में भरकर सुरक्षित जगह भेजने के बाद खुद भी पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं। ताडा गांव में कुछ बच्चे घर के आंगन में निकल तो रहे हैं, लेकिन उन्हें खेत और घर से दूर पखडण्डी में जाने कि अनुमाती नहीं है। काश्तकार समूह में रहकर खेतों में चौकन्ने होकर फसल काट रहे हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वन विभाग को आज ड्रोन चलाने के बावजूद हिंसक वन्यजीव का कोई सुराग नहीं मिला। इतना ही नहीं उस खूंखार नरभक्षी की न तो लोकेशन और पगमार्क मिले और न ही स्टूल/यूरिन ही वन विभाग को मिल सकी।
बताया जा रहा है कि आज सवेरे किसी ग्रामीण ने पहाड़ी के ऊपरी हिस्से में हिंसक वन्यजीव के होने की सूचना दी, लेकिन उस क्षेत्र में ड्रोन घुमाने के बावजूद भी कोई सफलता नहीं मिली। शातिर वन्यजीव के नहीं मिलने से ग्रामीणों में दहशत का माहौल है और शाम ढलते ही गांव सुनसान हो रहा है। ग्रामीण अब हाथ जोड़कर सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं। इस बात की भी जानकारी मिली है कि नैनीताल वन विभाग ने बड़ी संख्या में वन फोर्स बुलाकर गश्त लगानी शुरू कर दी है।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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