उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा द्वारा नैनीताल में दो दिन से हो रही वर्षा से नैनीझील में फैली गंदगी पर स्वतः संज्ञान लेने पर आज नगर पालिका के इ.ओ. सहित अन्य अधिकारी न्यायालय में पेश हुए। न्यायालय ने दो दिनों से झील की सफाई करने पर संतोष जताया।
न्यायमूर्ति ने कहा कि आगे भी हर सप्ताह झील की सफाई करने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाय। हर रविवार को 11 बजे से 1 बजे तक सभी नाव चालकों के साथ झील की सफाई की जाय और इसका निरीक्षण भी किया जाय। झील की सफाई के लिए और भी ज्यादा सतर्कता बरती जाय। झील में जो भी व्यक्ति खाद्य सामग्री लेकर जाता है या मछलियों को खिलाता है उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाय।
आज न्यायालय के आदेश पर ई.ओ.आलोक उनियाल सहित अन्य अधिकारियों ने न्यायालय में झील की सफाई व्यवस्था को लेकर अपना प्लान पेश किया।कहा गया कि उन्होंने न्यायालय के आदेश पर शीघ्र ही झील की सफाई कर ली है और हर सप्ताह इसी तरह सफाई की जाएगी। अगर कोई व्यक्ति झील में खाद्य सामाग्री ले जाता है या मछलियों को खिलाता है उस पर ₹5000/= का जुर्माना लगाया जाएगा।
मामले के अनुसार दो दिनों से हो रही बरसात के बाद नैनीझील में चारों तरफ खाली बोतलों, कूड़े और थैलियों का अम्बार लग गया था। ये कूड़ा सीधे या नैनीताल के कैचमेंट के 62 नालों के माध्यम से नैनीझील तक पहुँच गया। जिसकी वजह से झील पूरी तरह दूषित हो गयी। प्रसाशन द्वारा इसकी देखरेख तक नही गई।
झील में कूड़े का अंबार देखकर न्यायमूर्ति ने सरोवर नगरी की स्वच्छता के लिए की जा रही व्यवस्थाओं पर सवाल उठाते हुए स्वतः संज्ञान लिया और एस.डी.एम.राहुल साह, नगर पालिका ई.ओ.आलोक उनियाल और कोतवाल धर्मवीर सोलंकी को न्यायालय में तलब किया। न्यायमूर्ति शर्मा ने सभी से गंदगी के निस्तारण के लिए किए जा रहे कार्यों और उपायों के साथ बुधवार को फिर से पूरे प्लान के साथ उपस्थित होने को कहा था, जिसपर आज वे प्लान के साथ पहुंचे थे।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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