उत्तराखंड उच्च न्यायालय में बार काउंसिल के कार्य से विरत रहने की घोषणा के बाद गुरुवार को अधिवक्ता न्यायालय में विधिक कार्य से दूर रहे। न्यायालय में केवल न्यायमूर्ति रविन्द्र मैठाणी ही पूरा समय कोर्ट में बैठे। इसके अलावा मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ व अन्य न्यायाधीशों ने भी कुछ समय तक उपस्थित कुछ अधिवक्ताओं और क्लाइंट को सुना।
बार काउंसिल ऑफ उत्तराखंड के कॉल पर उच्च न्यायालय के अधिवक्ता विधिक कार्यों से गुरुवार को दूर रहे। न्यायालय दिवस होने के कारण सभी न्यायाधीश न्यायालय में समय से पहुंचे और वादों पर सुनवाई शुरू की। बार काउंसिल के कार्य बहिष्कार का आदेश होने के कारण अधिवक्ता न्यायालय में उपस्थित नहीं हुए तो न्यायाधीश कुछ देर रुके।
इस बीच इक्का दुक्का अधिवक्ता और कुछ क्लाइंट अपने मुकदमें लेकर स्वयं न्यायाधीशों के आगे उपस्थित हुए। न्यायाधीशों ने उन्हें सुना और कार्यवाही आगे बढ़ाई। जिन मामलों में अधिवक्ता उपस्थित नहीं हुए, उन्हें रोटेशन के अनुसार तारीख दे दी गई, इन मामलों में एडवर्स(विपरीत)आदेश पारित नहीं किये गए हैं।
केवल न्यायमूर्ति रविन्द्र कुमार मैठाणी की एकलपीठ लंच से पहले और उसे बाद भी न्याय करने के लिए बैठी। आपराधिक मामलों से संबंधित इस न्यायालय से कुछ मुकदमों में निर्देश जारी हुए। इस एकलपीठ में कुल 71 मामले लगे थे, इनमें से कुछ निर्णय तक भी पहुंचे। न्यायमूर्ति रविन्द्र मैठाणी की एकलपीठ में अधिवक्ताओं की गैरमौजूदगी में क्लाइंट को सीधे सुना गया। न्यायालय में काम करने वाले चंद अधिवक्ता न्यायालय परिसर में मौजूद रहे।
उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी, वरिष्ठ न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा, न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी, न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा, न्यायमूर्ति आर.सी.खुल्बे, न्यायमूर्ति रविन्द्र मैठाणी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा न्यायालय में मौजूद रहे।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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