अगस्त 2022 से कतर की जेल में बंद भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अधिकारियों पर कतर की एक कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. कतर की अदालत ने नेवी के 8 पूर्व अधिकारियों को मौत की सजा का ऐलान किया है. इन रिटायर्ड नौसैनिकों को कतर के गृह मंत्रालय ने बंदी बनाया था. पिछले साल 30 अगस्त को इन्हें जेल में डाला गया था. इस बारे में कतर सरकार की ओर से कोई जानकारी भी अपडेट नहीं की जा रही थी. अचानक से कतर ने इन अधिकारियों को मौत की सजा का ऐलान कर दिया है. आठ पूर्व अधिकारियों के परिजनों को उम्मीद थी कि उन्हें कतर सरकार से राहत मिलेगी, लेकिन रिटायर्ड अधिकारियों के परिवारों को बड़ा झटका मिला है।
कतर की अदालत ने एक साल से अधिक समय से हिरासत में रखे गए 8 पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों को मौत की सजा सुनाई है। इन पर जासूसी का आरोप लगा है। प्रमुख भारतीय युद्धपोतों की कमान संभालने वाले सम्मानित अधिकारियों सहित आठ लोग, डहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज के लिए काम कर रहे थे। यह एक निजी फर्म है जो कतर के सशस्त्र बलों को प्रशिक्षण और संबंधित सेवाएं प्रदान करती है।
उनकी जमानत याचिकाएं कई बार खारिज कर दी गईं जिसके बाद कतरी अधिकारियों ने उनकी हिरासत बढ़ा दी थी। भारत सरकार ने मृत्युदंड पर गहरा दुख जताया है और सभी कानूनी विकल्पों पर विचार कर रही है।
भारत के विदेश मंत्रालय का कहना है कि हम विस्तृत फैसले का इंतजार कर रहे हैं। इसके कानूनी विक्लपों पर विचार किया जा रहा है। इस फैसले से अहम आहत हैं। कतर सरकार के सामने इस मसले को उठाया जाएगा।
विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वह इस केस में आगे की लड़ाई के लिए तैयार है। मंत्रालय ने कहा, “हम इस मामले को बहुत महत्व देते हैं और इस पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। हम सभी कांसुलर और कानूनी सहायता देना जारी रखेंगे। हम फैसले को कतरी अधिकारियों के समक्ष भी उठाएंगे।
कतरी अदालत ने जिन आठ पूर्व नौसैनिकों को सजा सुनाई है उनमें कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर अमित नागपाल, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता और सेलर रागेश शामिल हैं।
मामले से परिचित लोगों ने हाल ही में नाम न छापने की शर्त पर एचटी को बताया था कि आठ लोगों पर जासूसी का आरोप लगाया गया है। कतरी और भारतीय अधिकारियों ने उन लोगों के खिलाफ आरोपों का विवरण कभी नहीं दिया, जिन्हें लंबे समय तक एकांत कारावास में रखा गया है। सूत्रों ने आगे कहा कि एक भारतीय पत्रकार और उसकी पत्नी को हाल ही में कतरी अधिकारियों ने मामले पर रिपोर्टिंग के लिए देश छोड़ने का आदेश दिया था।
क्या था पूरा मामला?
कतर के गृह मंत्रालय ने जिन 8 पूर्व अधिकारियों को गिरफ्तार किया था उनमें कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर अमित नागपाल, कमांडर संजीव गुप्ता और सेलर रागे शामिल हैं. इन पर सभी कतर में जासूसी करने का आरोप है।
गिरफ्तारी होने के एक महीने बाद इन सभी को दोहा स्थित इनके आवास पर लौटने और फिर भारत वापस जाने को कहा गया था. लेकिन इनके भारत छोड़ने से पहले सूटकेस के साथ इन्हें जेल में डाल दिया गया. जासूसी करने का अरोप में इन्हें इनके घर से गिरफ्तार किया गया था. इन्हें पिछले साल 30 अगस्त को जेल भेज दिया गया और कतर की तरफ से यह कभी नहीं बताया गया कि आखिर इनकी रिहाई कब होगी।
गिरफ्तारी होने के एक महीने बाद इन सभी को दोहा स्थित इनके आवास पर लौटने और फिर भारत वापस जाने को कहा गया था. लेकिन इनके भारत छोड़ने से पहले सूटकेस के साथ इन्हें जेल में डाल दिया गया. जासूसी करने का अरोप में इन्हें इनके घर से गिरफ्तार किया गया था. इन्हें पिछले साल 30 अगस्त को जेल भेज दिया गया और कतर की तरफ से यह कभी नहीं बताया गया कि आखिर इनकी रिहाई कब होगी.
गिरफ्तार हुए पूर्व भारतीय नौसेना अधिकारियों मेंकई अधिकारी ऐसे हैं जो कतर की अल दहरा कंसल्टेंसी में काम कर रहे हैं. ज्यादातर की उम्र 60 साल या उससे ज्यादा बताई जा रही है।
विदेश मंत्रालय का कहना है, “हमारे पास जानकारी है कि कतर की अदालत ने अल दहरा कंपनी के 8 भारतीय कर्मचारियों से जुड़े मामले में फैसला सुनाया है. मौत की सजा के फैसले से हम गहरे सदमे में हैं और विस्तृत फैसले का इंतजार कर रहे हैं. हम परिवार के सदस्यों और कानूनी टीम के संपर्क में हैं और सभी कानूनी विकल्प तलाश रहे हैं. इसके अलावा इस मामले को कतर के अधिकारियों के सामने भी उठाएंगे.” हालांकि इस मामले में मंत्रालय ने अधिक जानकारी देने से इंकार कर दिया।
घरवालों को वापसी का इंतजार
मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया कि उनके पर लगे जासूसी के आरोपों के बारे में उनके परिजनों को भी कतर ने स्पष्ट जानकारी नहीं दी. आरोप किन आधार पर लगाए गए है, साफतौर पर इसके बारे में कुछ भी नहीं बताया गया।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कतर के फैसले पर नाराजगी जताई है. भारत सरकार के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में बताया गया कि कतर की एक अदालत ने अल दहरा कंपनी में काम कर रहे भारत के 8 पूर्व नौसैनिक अधिकारियों के खिलाफ सुनाए गए फैसले से हैरान हैं. हम परिवार के सदस्यों और कानूनी टीम के भी संपर्क में हैं. भारतीय नागरिकों की रिहाई के लिए सभी कानूनी विकल्पों की तलाश की जा रही है. कतर की अदालत के इस फैसले को हम वहां के अधिकारियों के सामने भी उठाएंगे।
क्या कतर पर दबाव बना पाएंगे मोदी?
कतर के साथ भारत के संबंध काफी संवेदनशील रहे हैं। रक्षा और सुरक्षा सहयोग पर फोकस करते हुए भारत अब कतर के साथ संबंधों को बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है। प्रधानमंत्री मोदी 2016 में कतर गए थे। यह देश LNG का प्रमुख स्रोत है। वहां 8 लाख भारतीय रहते हैं जो उस देश का सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है। सजा पाए पूर्व नौसैनिकों के घरवालों के अनुसार उन्हें हिरासत के बारे में सूचित नहीं किया गया था। उन्हें तब पता चला जब कंपनी से संपर्क किया गया। कतर के अधिकारियों के साथ बातचीत के बाद इतना जरूर हुआ था कि कैद में भारतीयों को एकांत कारावास से शिफ्ट कर जेल के वार्ड में रखा गया। कई जमानत याचिकाओं को कतर की अदालत ने खारिज कर दिया था। ऐसे में पीएम मोदी और विदेश मंत्री जयशंकर के सामने भारतीयों की जान बचाने की बड़ी चुनौती है।
कतर की कोर्ट के फैसले पर भारतीय विदेश मंत्रालय हैरान है और कहा है कि भारतीयों को फांसी के फंदे से बचाने के लिए कानूनी रास्ते तलाशे जा रहे हैं. कानून के जानकारों की मानें तो सरकार के पास अभी भी कई रास्ते हैं, जिसके जरिए वह अपने नागरिकों को सजा से बचा सकती है।
आइए जान लेते हैं कि सरकार के पास अभी कौन-कौन से कानूनी रास्ते हैं..
इंडियन नेवी के 8 पूर्व नौसैनिकों को कतर में मौत की सजा सुनाए जाने की खबर ने पूरे देश में हलचल मचा दी है. एक साल से ये लोग कतर की कैद में हैं और गुरुवार (26 अक्टूबर, 2023) को वहां की कोर्ट ने आठों के लिए सजा-ए-मौत का फरमान सुना दिया. उन पर क्या-क्या आरोप लगे हैं, कतर की तरफ से इसे लेकर कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई हैं, लेकिन पिछले साल जासूसी के आरोप में इनकी गिरफ्तारी हुई थी. भारत सरकार के सामने इस वक्त सबसे बड़ी चुनौती है कि वह किस तरह आठों भारतीयों को फांसी के फंदे पर लटकने से बचा सकती है।
कानूनी लड़ाई लड़े भारत
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, एडवोकेट आनंद ग्रोवर ने बताया है कि अपने नागरिकों को सजा से बचाने के लिए सरकार अंतरराष्ट्रीय कोर्ट की मदद ले सकती है या फिर कतर पर राजकीय दबाव बनाकर नागरिकों को फांसी से बचाया जा सकता है. इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र की मदद का भी विकल्प है।
उन्होंने बताया कि सरकार के पास एक तरीका यह है कि वह कतर की ऊपरी अदालत में फांसी की सजा के खिलाफ अपील कर सकती है. अगर मामले में उचित प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया जाता है या फिर अपील नहीं सुनी जाती है तो भारत सरकार अंतरराष्ट्रीय अदालत का रुख कर सकती है. आनंद ग्रोवर ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय कानून और इंटरनेशनल कॉन्वेंट ऑन सिविल एंड पॉलिटिकल राइट्स (ICCPR) के प्रावधान कहते हैं कि आमतौर पर कुछ मामलों को छोड़कर फांसी की सजा नहीं दी जा सकती है।
कूटनीतिक तरीके से मसले को सुलझाए
इस मसले को कूटनीतिक तरीके से भी सुलझाया जा सकता है. इसके लिए या तो भारत कतर अधिकारियों से सीधे बात करे या फिर उसके मित्र देशों से बातचीत कर कतर सरकार से अपने नागरिकों को छुड़ाने के लिए अपील करे. साल 2017 में भारत ने तब कतर की मदद की थी, जब अरब देशों ने उसके साथ राजनियक खत्म कर दिए थे. इसके चलते कतर को आयात निर्यात के लिए सुदूर बंदरगाहों का इस्तेमाल करना पड़ा था. तब गंभीर खाद्य संकट से गुजर रहे कतर की भारत सरकार ने भारत-कतर एक्सप्रेस सेवा नामक समुद्री आपूर्ति लाइन के जरिए मदद की थी. बहरीन, मिस्र, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाकर कतर से रिश्ते खत्म कर लिए थे।
राजनीतिक दखल
आठों नागरिकों छुड़ाने के लिए प्रधानमंत्री के स्तर पर राजनीतिक दखल की भी बात कही जा रही है. इसके लिए कतर सरकार से क्षमा याचना (पार्डन) की अपील की जा सकती है।
अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाया जाए
भारत सरकार के पास संयुक्त राष्ट्र का भी रास्ता खुला है. सरकार संयुक्त राष्ट्र का सहारा लेकर कतर पर भारतीय नागरिकों के लिए दया याचना (क्लेमेन्सी) की अपील कर सकती है. साल 2017 में भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान ने जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया था और मौत की सजा सुना दी थी. भारत ने इन आरपों को खारिज करते हुए बताया कि वह एक बिजनेस ट्रिप के लिए ईरान गए थे, जहां से पाकिस्तान ने उन्हें अगवा कर लिया था।
पाकिस्तान के फैसले के खिलाफ भारत सरकार ने इंटरनेशनल कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और मौत की सजा के फैसले पर रोक लगा दी गई. हालांकि, जाधव अभी भी पाकिस्तान की कैद में हैं।
क्या आजीवन कारावास में तब्दील हो सकती फांसी की सजा
केपी फैबियन ने बताया कि कुछ साल पहले कतर में फिलीपींस के तीन नागरिकों को जासूसी के मामले में सजा सुनाई गई थी. इनमें से एक को फांसी दी गई थी, वह कतर की पेट्रोलियम कंपनी में काम करता था. वहीं, बाकी नागरिक एयरफोर्स में कार्यरत थे।
इन पर आरोप था कि एयरफोर्स में काम कर रहे फिलीपींस के नागरिक कतर से जुड़ी खुफिया जानकारियां तीसरे फिलीपीन नागरिक को भेज रहे थे, जो फिलीपींस को यह इनफोर्मेशन पहुंचा रहा था. इस मामले में फांसी की सजा को आजीवन कारावास और बाकी दो नागरिकों की सजा 25 साल की जेल में तब्दील कर दी गई थी।
इजरायल के लिए जासूसी का आरोप
8 पूर्व भारतीय नौसेनिकों पर क्या आरोप हैं, इसे लेकर कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है. पिछले साल 8 अगस्त, 2022 को इन्हें गिरफ्तार किया गया था. कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन भारतीय नागरिकों पर आरोप है कि वे इजरायल के लिए जासूसी कर रहे थे और कतर के प्रोजेक्ट्स से जुड़ी जानकारियां इजरायल भेजी जा रही थीं. इस मामले में कंपनी के मालिक की भी गिरफ्तारी हुई थी, लेकिन उन्हें नवंबर, 2022 में रिहा कर दिया गया.
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