फरियादी की सुनवाही पर यदि कोताही बरती ,,, तो अब होगी थाना प्रभारी पर बड़ी कार्यवाही

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आई जी गढ़वाल अजय रौतेला की नई पहल, कितनी होगी कारगर

उत्तराखंड में पुलिस का इकबाल बुलंद है आखिर बुलंद क्यों ना हो क्योंकि मित्र पुलिस अपनी मित्रता पूर्ण निष्ठा के साथ निभा रही है राज्य बनने के 18 वर्ष बाद भी प्रदेश में फरियादियों को फरियाद सुनाने के लिए दर-दर जो भटकना पढ़ रहा है ऐसा नहीं है कि पुलिस उनकी शिकायतों को सुन नहीं रही शिकायतों को सुन तो रही है पर उनका निराकरण कैसे किया जा रहा है इस पर सवाल उठ रहे हैं।

थाना प्रभारियों की कार्यप्रणाली को देखने वाला कोई भी पुलिस मुख्यालय स्तर का अधिकारी जोखिम उठाने को तैयार नही है क्योंकि प्रदेश में तैनात काबिल पुलिस अधिकारियों ने जिस तरीके से अपने आप को एक दायरे में समेट लिया है उसका फायदा वह नाकाम पुलिस अधिकारी उठा रहे हैं जो अपने राजनीतिक आकाओं के बल पर भले ही थानों का चार्ज पा रहे हो, तो अन्दाजा लग सकता है की वो अपने अधिकारियों के निर्देशों को कितना सुनते होंगे, क्यों कि उनको चार्ज अधिकारियो ने नही उनके राजनीतिक आकाओ ने दिलवाया है, जिसका खामियान उस गरीब फरियादी को उठाना पढ़ रहा है जो अपने पर हो रहे जुल्म की इंतहा पर राहत मागने के लिए एक दर से दूसरे दर भटकने पर मजबूर हैं।
थाना प्रभारी से सुशोभित उत्तराखंड के हाई टेक थाने पर फरियादी पहुचता है उसके साथ कैसा व्यहवार होता है किसी से छुपा नही है, परंतु जो राहत फरियादी को मिलनी चाहिए वह नहीं मिल पा रही है, अपनी प्राथमिक दर्ज करने के लिए क्या क्या पापड़ बेलने पड़ते हैं,,,,, सबको सब पता है

चलिए हम गढ़वाल परिक्षेत्र की पुलिसिंग की बात करें यह बताना उचित होगा यहां पर एक नई कार्यप्रणाली का चलन जोरो पर चल रहा है यह थानों के चार्ज थाना प्रभारी नहीं चलाते बल्कि थानों का चार्ज एक अदना सा मुंशी जो कि पुलिस का सिपाही होता है चला रहा है वही तय करता है कि फरियादियों की फरियाद दर्ज की जाए या नहीं, यदि जरूरी नही होता तो यहां तक कह देता है कि रिपोर्ट दर्ज नही होगी चाहे कही भी चला जाये। जिनको थानो के प्रभार संभालने की जिम्मेदारी जिले के कप्तानों ने सौंपी है उन थाना प्रभारियों के दर्शन तो कभी कबार ही किसी फरियादी को हो पाते हैं क्यों कि साहब हमेसा अपने कमरे में शानदार पलंग पर आराम फरमाते रहते हैं, इसलिए छोटे साहब से काम चला लिया जाता है यह बात ऐसा नहीं है कि आला अधिकारियों के संज्ञान में नहीं है फिर भी ना मालूम क्यों पुलिस मुख्यालय के कर्ता-धर्ता ओर कानून के रखवाले लोग इस ओर से आंखें बंद किए बैठे हैं आज भी फरियादी अपनी फरियाद लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री, सचिवालय व पुलिस मुख्यालय में अपनी शिकायतें दर्ज कराने के लिए चक्कर काटता घूम रहा है कि थानों में उनकी शिकायतें दर्ज नहीं की जा रही है, और अगर रिपोर्ट दर्ज करने की जहमत उठा भी लेते हैं , तो वहां तैनात मुंशी या छोटे साहब जो प्रार्थना पत्र की भाषा लिखबाते हैं वही मजबूरी में फरियादी को लिख कर देना पड़ता है जैसा मुशी जी मुनासिब समझे, नहीं तो उसका मुकदमा दर्ज हो ही नही सकता।
इस संबंध में गढ़वाल परिक्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक अजय रौतेला का ध्यान जब इस प्रणाली की तरफ दिलाया गया उन्होंने भी बड़ा आश्चर्य जताया, अपनी तत्काल कारवाही के लिए चर्चित उन्होंने अपने मातहतों को तत्काल आदेश जारी किए की उस शासनादेश को तत्काल लागू किया जाए जिसके तहत प्रत्येक थाना प्रभारी 10:00 बजे से लेकर 11:00 बजे तक प्रत्येक दिन अपने थाने में बैठकर फरियादियों की फरियाद सुनेगे। उन्होंने कहा के इस निर्देश को तत्काल लागू किया जाए, साथ ही थाना प्रभारी एक रजिस्टर बनाएंगे जिस पर प्रत्येक दिन आने वाले फरियादी की फरियाद का क्या संज्ञान लिया गया और उस पर क्या कार्रवाई की गई दर्ज होगा, जिसकी समीक्षा क्षेत्राधिकारी व एसपी स्तर के अधिकारी प्रत्येक माह निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट आईजी कार्यालय को प्रेषित करेंगे यदि इस संबंध में किसी भी तरीके की लापरवाही थाना प्रभारी द्वारा जनता या फरियादी के साथ की जाएगी तो उसके विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाने का भी निर्णय लिया गया है।

अब देखना यह है कि आई जी रौतेला का यह निर्णय कितना कारगर होता है।,

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